Ocean में गूंजेगी भारत की दहाड़, नौसेना को मिलेंगे P-18 डेस्ट्रॉयर, भारत बनाएगा अब तक के सबसे बड़े युद्धपोत

भारतीय नौसेना आने वाले दिनों में अपनी समुद्री शक्ति को एक नई ऊंचाई देने जा रही है. रक्षा मंत्रालय से चार नेक्स्ट जेनरेशन डेस्ट्रॉयर (P-18 प्रोजेक्ट) बनाने की मंजूरी मिलने वाली है. पहले चरण में चार जहाज तैयार किए जाएंगे, जबकि भविष्य में नौसेना के बेड़े में कुल 10 एडवांस्ड युद्धपोत शामिल करने की योजना है. इनका वजन 10,000 से 13,000 टन तक होगा, जो इन्हें भारत में बने अब तक के सबसे बड़े सतही युद्धपोत बना देगा.

मौजूदा स्थिति और चुनौती

इस समय भारतीय नौसेना के पास कुल 13 डेस्ट्रॉयर हैं, जिनमें पुराने राजपूत, दिल्ली, कोलकाता और विशाखापत्तनम क्लास शामिल हैं. तुलना करें तो:

चीन के पास 50 से ज्यादा डेस्ट्रॉयर हैं.

जापान के पास 42 डेस्ट्रॉयर हैं.

ऐसे में P-18 जहाज भारत की नौसैनिक क्षमता को नई धार देंगे और हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के बीच भारत को मज़बूत स्थिति में खड़ा करेंगे.

आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम

यह जहाज वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा डिजाइन किए जा रहे हैं और आत्मनिर्भर भारत मिशन से जुड़े हैं. जुलाई 2025 में P-18 का कॉन्सेप्ट डिजाइन पेश किया गया था. उसी अवसर पर भारत का 100वां स्वदेशी युद्धपोत भी नौसेना को सौंपा गया. यह दर्शाता है कि भारत अब सिर्फ खरीदार नेवी नहीं, बल्कि बिल्डर नेवी बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.

डिज़ाइन और क्षमताएं

P-18 डेस्ट्रॉयर का डिज़ाइन भविष्य की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है:

144 VLS सेल्स (चीन के टाइप 055 से ज्यादा और अमेरिका के Arleigh Burke-क्लास के बराबर).

हथियारों में ब्रह्मोस सुपरसोनिक, हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-II, LR-LACM और SMART सिस्टम शामिल होंगे.

S-बैंड AESA रडार और मल्टी-सेंसर मास्ट से 500 किमी से ज्यादा की निगरानी क्षमता.

एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम, जो चीन की एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल जैसे खतरों से बचाव करेगा.

स्टेल्थ फीचर और मॉड्यूलर कंस्ट्रक्शन, जिससे जहाज का निर्माण समय 4-5 साल तक घटाने का लक्ष्य है.

मानव रहित प्रणालियों (UAVs, UUVs, ड्रोन) से निगरानी और एंटी-सबमरीन क्षमता में इजाफा.

भविष्य की रीढ़

P-18 डेस्ट्रॉयर आने वाले दशकों में नौसेना की रीढ़ साबित होंगे. ये पुराने राजपूत और दिल्ली क्लास जहाजों की जगह लेंगे और भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा को अभेद्य बनाएंगे. यह परियोजना न केवल भारत की रक्षा शक्ति बढ़ाएगी, बल्कि घरेलू उद्योग और तकनीकी आत्मनिर्भरता को भी नई दिशा देगी.

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra