उत्तर प्रदेश में जनगणना-2026 की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। करीब 15 साल बाद होने जा रही इस जनगणना को लेकर इस बार कई अहम बदलाव देखने को मिलेंगे। न केवल सवालों का पैटर्न बदलेगा, बल्कि इसमें तकनीक का इस्तेमाल और जाति से जुड़ा डेटा भी शामिल होगा। इसे सफल बनाने के लिए केंद्र सरकार ने यूपी में एक प्री-टेस्ट कराने का निर्देश दिया है, ताकि असली जनगणना से पहले जमीन पर तैयारियों की हकीकत परखी जा सके।
अप्रैल 2026 से पहला चरण
केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार जनगणना का पहला चरण अप्रैल से सितंबर 2026 तक चलेगा। इसमें हाउसहोल्ड सर्वे किया जाएगा। इसके बाद फरवरी 2027 में मुख्य जनगणना होगी। यूपी जैसे बड़े राज्य में इस प्रक्रिया के लिए लगभग 5 लाख से अधिक अधिकारी और कर्मचारी लगाए जाएंगे। सभी को पहले विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाएगा ताकि काम में कोई गड़बड़ी न हो।
कहाँ होगा प्री-टेस्ट
प्री-टेस्ट को एक तरह की फुल ड्रेस रिहर्सल माना जाएगा। इसमें वही सारी प्रक्रियाएं अपनाई जाएंगी जो असली जनगणना में होंगी। इसके लिए जिन क्षेत्रों का चयन किया गया है, उनमें बुलंदशहर की अनूपशहर तहसील के 106 गांव, बहराइच के मिहींपुरवा ब्लॉक के 54 गांव, और प्रयागराज के 7 शहरी वार्ड शामिल हैं। इन इलाकों में सर्वे की हर बारीकी को परखा जाएगा।
महिलाओं की बड़ी भूमिका
केंद्र सरकार ने कहा है कि संगणकों (Enumerators) में कम से कम 25 से 50 प्रतिशत तक महिलाएं हों। जनगणना में एन्यूमरेटर और सुपरवाइजर के तौर पर शिक्षक, सरकारी और अर्द्धसरकारी कर्मचारी शामिल होंगे। वहीं तहसीलदार, बीडीओ, नगर आयुक्त और पालिका ईओ जैसे अधिकारी चार्ज ऑफिसर की भूमिका निभाएंगे। ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों को अलग से मानदेय भी मिलेगा।
तकनीक का नया दौर
जनगणना-2026 में पहली बार मोबाइल ऐप के जरिए रियल-टाइम डेटा इकट्ठा किया जाएगा। साथ ही लोगों को स्वगणना (Self-Enumeration) का विकल्प मिलेगा। यानी नागरिक चाहें तो ऑनलाइन पोर्टल के जरिए खुद अपनी जानकारी दर्ज कर सकेंगे। प्री-टेस्ट में इन नई तकनीकों को भी टेस्ट किया जाएगा ताकि असली सर्वे के समय कोई समस्या न आए।
जाति आधारित डेटा भी होगा शामिल
इस बार एक बड़ा बदलाव यह है कि जाति से संबंधित जानकारी भी जनगणना में जोड़ी जाएगी। यह कदम न सिर्फ सामाजिक बल्कि नीतिगत दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है। प्री-टेस्ट के दौरान इस प्रक्रिया को परखा जाएगा ताकि डेटा कलेक्शन पारदर्शी और सटीक रहे।
केंद्र-राज्य का साझा प्रयास
केंद्रीय जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण ने यूपी के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर प्री-टेस्ट से जुड़ी गाइडलाइन भेजी है। राज्य सरकार ने भी संभावित क्षेत्रों की सूची और सुझाव केंद्र को भेज दिए हैं। प्री-टेस्ट से मिले अनुभवों के आधार पर अंतिम तैयारियों को और मजबूत किया जाएगा।
जनगणना-2026 सिर्फ आंकड़े जुटाने का काम नहीं होगी, बल्कि यह देश के सामाजिक और आर्थिक ढांचे को समझने का बड़ा जरिया बनेगी। खासकर यूपी जैसे सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में, जहां हर नतीजा राष्ट्रीय स्तर पर गहरा असर डालता है।
