दवा वह चीज़ है जिस पर हर मरीज भरोसा करता है। इलाज के दौरान डॉक्टर पर विश्वास के बाद दूसरी सबसे बड़ी उम्मीद दवा से ही होती है। लेकिन सोचिए, अगर दवा ही नकली निकल आए तो? हाल ही में आगरा में यूपी STF और औषधि विभाग की टीम ने 3.32 करोड़ रुपये की नकली दवाएं बरामद कर इस काले कारोबार की हकीकत सामने रख दी। बताया जा रहा है कि इन दवाओं को अलग-अलग राज्यों में भेजा जा रहा था। ये कार्रवाई अब तक की सबसे बड़ी मानी जा रही है।
मगर सवाल यह है कि जब बाजार में असली और नकली दोनों तरह की दवाइयां बिक रही हों तो आम आदमी इन्हें पहचानें कैसे? दरअसल, नकली दवा सिर्फ धोखा नहीं बल्कि जानलेवा जहर है, जो धीरे-धीरे शरीर को कमजोर करता है और बीमारी को और खतरनाक बना देता है।
क्यों खतरनाक हैं नकली दवाइयां?
नकली दवा लेने का मतलब है बीमारी को और बढ़ावा देना। असली दवा जहां बीमारी को जड़ से खत्म करती है, वहीं नकली दवा शरीर में असर ही नहीं करती। कई बार इनमें ऐसे केमिकल होते हैं जो खतरनाक रिएक्शन कर सकते हैं। खासकर शुगर, ब्लड प्रेशर, दिल और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में नकली दवा लेना जीवन के लिए खतरा बन सकता है।
नकली दवाइयां पहचानने के आसान तरीके
पैकेजिंग पर नजर डालें
असली दवा की पैकिंग मजबूत और साफ-सुथरी होती है। नकली पैकिंग अक्सर ढीली और प्रिंटिंग धुंधली होती है।
MRP, बैच नंबर और एक्सपायरी देखें
असली दवा पर यह जानकारी साफ और अलग-अलग होती है। नकली दवाओं में बैच नंबर अक्सर संदिग्ध या हर पैक पर एक जैसा लिखा होता है।
बारकोड या QR कोड स्कैन करें
असली कंपनियां अब QR कोड देती हैं। मोबाइल से स्कैन कर तुरंत जानकारी मिल सकती है।
दवा का रंग और आकार जांचें
असली दवा हर बार एक जैसी दिखेगी, जबकि नकली का रंग फीका या जरूरत से ज्यादा चमकीला लग सकता है।
हमेशा बिल लें
बिना बिल वाली दवा पर शक करना चाहिए। बिल से यह ट्रैक करना आसान होता है कि दवा कहां से खरीदी गई।
कंपनी का लोगो और सील देखें
नकली पैकिंग में लोगो कॉपी किया जाता है, मगर बारीकी से देखने पर फर्क पकड़ में आ सकता है।
असर न हो तो सतर्क रहें
अगर दवा असर न करे या अजीब रिएक्शन हो, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और मामले की शिकायत करें।
जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं, लोगों की भी
नकली दवा बेचने वाले गिरोह पर सरकार लगातार कार्रवाई करती रहती है, लेकिन इस कारोबार को खत्म करने में आम लोगों की जागरूकता भी उतनी ही जरूरी है। जिस तरह हम फल और सब्जी खरीदते समय उनकी क्वालिटी पर ध्यान देते हैं, उसी तरह दवा खरीदते समय भी सतर्क रहना चाहिए।
नतीजा साफ है कि सतर्कता ही सुरक्षा है। अगली बार जब भी दवा खरीदें, पैकिंग, QR कोड और बिल पर जरूर ध्यान दें। जागरूक रहिए, सुरक्षित रहिए और अपनी सेहत से कभी समझौता मत कीजिए।
