लखनऊ का गोमती नगर, जिसे राजधानी का सबसे आधुनिक इलाका माना जाता है, इन दिनों एक बड़े घोटाले की वजह से सुर्खियों में है। यहां 3500 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन पर कब्जा करने का मामला सामने आया है। यह जमीन बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति लिमिटेड को दी गई थी, जिसका उद्देश्य अनुसूचित जाति और कमजोर वर्ग के लोगों को घर उपलब्ध कराना था। लेकिन जांच में पता चला कि समिति महज एक दिखावा थी और इसके नाम पर भू-माफिया गैंग ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीनों की बंदरबांट कर दी।
फर्जी समिति, फर्जी सदस्य और फर्जी पता
जांच में खुलासा हुआ कि समिति का संचालन बी-4, लेखराज मार्केट-1, इंदिरा नगर से दिखाया गया, जबकि वहां कोई दफ्तर था ही नहीं। समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण सिंह वाफिला और सचिव लखन सिंह बलियानी ने भू-माफियाओं के साथ मिलकर फर्जी सदस्यों को जोड़ा और उनके नाम पर गोमती नगर एक्सटेंशन योजना के तहत आवंटित भूखंडों की गैरकानूनी रजिस्ट्री करा दी।
रिश्तेदारों और अधिकारियों को बांटी जमीन
सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ कि समिति ने कई भूखंड अपने रिश्तेदारों, सहयोगियों और यहां तक कि लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) और सहकारिता विभाग के कुछ अधिकारियों के नाम कर दिए। इतना ही नहीं, कई भूखंडों की बिक्री भी हुई, लेकिन करोड़ों रुपये की रकम समिति के खाते में नहीं पहुंची। यह पैसा कहां गया, इसका कोई हिसाब नहीं मिला।
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
जब मामला हाई कोर्ट पहुंचा, तो न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने इसे “सरकारी जमीनों की लूट” बताया। कोर्ट ने यूपी सरकार और LDA से विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी। इसके बाद गाजीपुर थाने में समिति के सात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश की धाराओं में FIR दर्ज की गई।
112 प्राइम लोकेशन प्लॉट फर्जी नामों पर
जांच में यह भी सामने आया कि करीब 3.59 लाख वर्ग फीट जमीन पर कब्जा कर लिया गया था, जिसकी कीमत लगभग 3500 करोड़ रुपये आंकी गई। यह जमीन गोमती नगर विस्तार के कई सेक्टरों में फैली हुई थी। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 112 से ज्यादा प्राइम लोकेशन प्लॉट अलग-अलग नामों पर आवंटित किए गए।
STF की कार्रवाई और LDA की सिफारिश
इससे पहले मार्च 2025 में STF ने भू-माफियाओं के गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया था। अब LDA ने समिति का पंजीकरण रद्द कराने की सिफारिश भी कर दी है। LDA उपाध्यक्ष ने साफ कहा है कि इस घोटाले में शामिल दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
इतने सालों तक कैसे चलता रहा फर्जीवाड़ा ?
यह पूरा मामला बताता है कि कैसे कमजोर वर्ग के नाम पर बनाई गई एक समिति को भू-माफियाओं ने हथियार बना लिया। अधिकारियों की मिलीभगत से न सिर्फ सरकारी जमीन हड़पी गई, बल्कि करोड़ों की रकम का भी कोई हिसाब नहीं मिला। अब हाई कोर्ट और STF की कार्रवाई से इस घोटाले की परतें खुल रही हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि इतने साल तक यह सब बिना पकड़े कैसे चलता रहा?
