भाद्रपद शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला हरतालिका तीज का व्रत इस साल 26 अगस्त, मंगलवार को रखा जाएगा। यह व्रत खासतौर पर सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और वैवाहिक सुख की कामना से करती हैं। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने कठोर तप कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए इस दिन का व्रत और पूजन स्त्रियों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।
चार शुभ योग बनाएंगे तीज को खास
इस साल हरतालिका तीज पर सर्वार्थ सिद्धि योग, शोभन योग, गजकेसरी योग और पंचमहापुरुष योग बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ये सभी योग अत्यंत शुभ और लाभकारी माने जाते हैं।
गजकेसरी योग विशेष महत्व रखता है। यह योग लंबे समय बाद बन रहा है और इसके प्रभाव से व्रत करने वाली महिलाओं को सुख, समृद्धि और सौभाग्य का वरदान मिलता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि जब इस तरह के शुभ योग तीज जैसे पर्व पर बनते हैं तो पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।
तिथि और समय का ध्यान रखें
तृतीया तिथि की शुरुआत: 25 अगस्त को दोपहर 12:34 बजे
तृतीया तिथि का समापन: 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे
उदय तिथि के अनुसार व्रत 26 अगस्त को ही रखा जाएगा। धार्मिक मान्यता यह भी है कि जिन परिवारों में तृतीया तिथि के अंतर्गत ही पूजन का विधान है, वे 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे से पहले पूजा कर लें। वहीं, उदयकाल की मान्यता रखने वाले भक्त सूर्यास्त से पहले तक पूजा कर सकते हैं।
व्रत का पारण
व्रत का पारण 27 अगस्त को चतुर्थी तिथि पर सूर्योदय के बाद किया जाएगा। पारण के समय महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती को जल अर्पित कर व्रत तोड़ेंगी।
पूजा-विधि
हरतालिका तीज की पूजा में शिव-पार्वती की मिट्टी या चांदी की मूर्ति स्थापित की जाती है। पूजा पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार विधि से की जा सकती है।
भगवान गणेश की पूजा भी अनिवार्य मानी गई है।
नैवेद्य में सूखे मेवे, ऋतु फल और मिष्ठान्न अर्पित किए जाते हैं।
इस दिन हरतालिका तीज कथा सुनने का विशेष महत्व है।
रात्रि में जागरण और भजन-कीर्तन का भी विधान है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
व्रत का महत्व
हरतालिका तीज का व्रत न केवल अखंड सौभाग्य के लिए बल्कि परिवार की सुख-शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना से भी किया जाता है। यह दिन स्त्रियों को आत्मबल और विश्वास प्रदान करता है।
इस साल विशेष योगों के संयोग के कारण हरतालिका तीज का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। ऐसे में सुहागिन महिलाएं पूरे उत्साह और श्रद्धा से यह व्रत करेंगी।
