बरसात और मौसम बदलने का समय बच्चों के लिए अक्सर परेशानी लेकर आता है। इस दौरान वायरल फीवर सबसे आम समस्या बन जाती है। हर साल हजारों बच्चे इससे प्रभावित होते हैं। कई बार माता-पिता इसे सामान्य सर्दी-जुकाम समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यही लापरवाही आगे बड़ी मुश्किल का कारण बन सकती है।
कैसे समझें वायरल बुखार के संकेत?
जब बच्चा बार-बार रोए, चिड़चिड़ा हो जाए और खेलने में मन न लगाए, तो ये सिर्फ थकान या मूड का मसला नहीं बल्कि संक्रमण की शुरुआती निशानी भी हो सकती है।
गले में खराश, नाक बहना या खांसी शुरू होना
शरीर का तापमान लगातार 101-102 डिग्री रहना
बार-बार जुकाम होना
भूख कम लगना और थकान रहना
शरीर में दर्द
ये सारे लक्षण वायरल फीवर की ओर इशारा कर सकते हैं।
वायरल बुखार क्यों फैलता है?
दिल्ली एम्स के पीडियाट्रिक विभाग के पूर्व डॉक्टर राकेश बागड़ी बताते हैं कि जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उसके मुंह से निकलने वाले छोटे-छोटे तरल कणों (Droplets) में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया आसपास खड़े लोगों तक पहुंच जाते हैं।
अगर बच्चा संक्रमित व्यक्ति के पास है तो ये कण नाक या मुंह के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
इस तरह स्वस्थ बच्चा भी वायरल बुखार की चपेट में आ सकता है।
शुरुआती लक्षण को न करें नजरअंदाज
शुरुआत में वायरल बुखार सामान्य सर्दी-जुकाम जैसा लगता है। बच्चे का शरीर हल्का गर्म रहता है और कई बार माता-पिता सोचते हैं कि यह बस मौसम का असर है। लेकिन यही सोच खतरनाक हो सकती है।
वायरल बुखार सिर्फ बुखार तक सीमित नहीं रहता बल्कि धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए लक्षण दिखते ही सतर्क होना जरूरी है।
बच्चों को वायरल बुखार से कैसे बचाएं?
बच्चों की इम्युनिटी मजबूत बनाएं।
रोजाना उन्हें संतुलित भोजन कराएं जिसमें फल और हरी सब्जियां शामिल हों।
पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं।
घर और आसपास साफ-सफाई रखें।
बच्चों को बार-बार हाथ धोने की आदत डालें।
बाहर से आने के बाद हाथ-पांव अच्छी तरह धुलवाएं।
ठंडा पानी और बासी खाना खाने से बचाएं।
हल्का और पौष्टिक खाना जैसे खिचड़ी, सूप खिलाएं।
मच्छरों से बचाव करें क्योंकि कई बार वायरल इंफेक्शन मच्छरों से भी फैलते हैं।
मौसम के अनुसार बच्चों को उचित कपड़े पहनाएं।
कब दिखाएं डॉक्टर को?
अगर बुखार लगातार 2-3 दिन से ज्यादा रहे या दवा देने के बाद भी आराम न मिले तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सही समय पर इलाज और अच्छी देखभाल से बच्चे जल्दी ठीक हो जाते हैं और माता-पिता भी बेवजह की चिंता से बच सकते हैं।
बच्चों में वायरल बुखार को कभी हल्के में न लें। शुरुआती लक्षण पहचानकर समय पर इलाज कराया जाए तो यह समस्या जल्दी नियंत्रित हो सकती है।
