उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बुधवार को विधानसभा में ‘श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास बिल 2025’ पेश किया है. इस बिल का मकसद मथुरा के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर की धार्मिक परंपराओं की रक्षा करना, प्रबंधन को मजबूत बनाना और श्रद्धालुओं को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराना है. सरकार का कहना है कि इस बिल से मंदिर के संचालन में पारदर्शिता आएगी और तीर्थयात्रियों को बेहतर अनुभव मिलेगा.
18 सदस्यीय ट्रस्ट करेगा मंदिर का संचालन
बिल के तहत मंदिर का संचालन एक 18 सदस्यीय ट्रस्ट के हाथों में होगा. यह ट्रस्ट न सिर्फ मंदिर की देखरेख करेगा बल्कि उसकी वित्तीय व्यवस्था और तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं के विकास की जिम्मेदारी भी संभालेगा. बिल में कहा गया है कि मंदिर के चढ़ावे, दान, आभूषण और सभी चल-अचल संपत्तियों का अधिकार ट्रस्ट के पास होगा. इसमें मंदिर में स्थापित मूर्तियों को दी गई भेंट, धार्मिक समारोहों में मिली संपत्ति या नकदी, और मंदिर के लिए भेजे गए बैंक ड्राफ्ट या चेक भी शामिल होंगे.
लेन-देन को लेकर भी बिल में स्पष्ट नियम
इसके अलावा लेन-देन को लेकर भी बिल में स्पष्ट नियम बनाए गए हैं. 20 लाख रुपये तक के लेन-देन के लिए ट्रस्ट को स्वतंत्र अधिकार होगा, लेकिन इससे ज्यादा रकम के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी. सरकार ने यह भी साफ किया है कि मंदिर की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा.
ट्रस्ट में 11 नामित और 7 पदेन सदस्य
ट्रस्ट में 11 नामित और 7 पदेन सदस्य होंगे. नामित सदस्यों में वैष्णव परंपराओं से जुड़े तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति, सनातन धर्म की अन्य परंपराओं से जुड़े तीन व्यक्ति, और सनातन धर्म के किसी भी संप्रदाय से आने वाले तीन व्यक्ति शामिल होंगे, जो शिक्षाविद, विद्वान, कारोबारी या समाजसेवी हो सकते हैं. इसके अलावा सेवायत गोस्वामी परंपरा से दो सदस्य होंगे, जो स्वामी श्री हरिदास जी के वंशज होंगे. पदेन सदस्यों में मथुरा के जिला मजिस्ट्रेट, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राज्य धर्मार्थ विभाग का एक अधिकारी, मंदिर ट्रस्ट का मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सरकार द्वारा नियुक्त एक अन्य सदस्य होंगे.
ट्रस्ट के गठन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई अस्थायी रोक
हालांकि, इस बिल को लेकर मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट के गठन पर सुप्रीम कोर्ट ने अस्थायी रोक लगा दी है और इसे इलाहाबाद हाई कोर्ट को भेज दिया है, 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को मंदिर के धन का उपयोग मथुरा कॉरिडोर के विकास के लिए करने की अनुमति दी थी. साथ ही मंदिर के आसपास की 5 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने की भी मंजूरी दी थी. इसके बाद 26 मई को सरकार ने इस विधेयक का मसौदा जारी किया लेकिन गोस्वामी परिवार ने इस फैसले को चुनौती दी. जिसके बाद कोर्ट ने ट्रस्ट के गठन पर रोक लगाते हुए हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में समिति बनाने का आदेश दिया और मौजूदा समिति के संचालन को सस्पेंड कर दिया.
सरकार का मानना है कि इस बिल के लागू होने से बांके बिहारी मंदिर की देखभाल और प्रबंधन ज्यादा संगठित और पारदर्शी हो जाएगा. साथ ही, श्रद्धालुओं को विश्वस्तरीय सुविधाएं मिलेंगी और मंदिर की परंपराएं भी सुरक्षित रहेंगी. हालांकि, अब सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले पर टिकी है, जिसके बाद ही इस बिल को लागू किया जा सकेगा.
