सिगरेट या शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ये तो सभी जानते हैं लेकिन आजकल के युवाओं की लाइफस्टाइल का हिस्सा बन गया है या कहें शौक बन गया है। लेकिन क्या आपको पता है कि शराब या सिगरेट में किसे छोड़ना सबसे मुश्किल है?
आज के युवा वर्ग में शराब और सिगरेट का चलन तेजी से बढ़ा है। शुरुआत अक्सर शौक या दोस्तों के साथ मस्ती के लिए होती है, लेकिन धीरे-धीरे ये लत बन जाती है। दोनों ही आदतें न सिर्फ शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि मानसिक, सामाजिक और आर्थिक तौर पर भी व्यक्ति को कमजोर बना देती हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इन दोनों में किसकी लत छोड़ना ज्यादा मुश्किल है? आइए जानते हैं इसके पीछे का विज्ञान।
निकोटिन की लत है सबसे बुरी लत
जैसे ही आप सिगरेट पीते हैं उसमें मौजूद निकोटिन नाम का रसायन कुछ ही सेकंड में आपके दिमाग तक पहुंच जाता है। यह निकोटिन दिमाग में डोपामाइन नाम का एक केमिकल रिलीज करता है। ये डोपामाइन केमिकल हमें खुशी और संतुष्टि का एहसास कराता है। यही वजह है कि सिगरेट पीने के बाद अच्छा महसूस होता है। सिगरेट की लत से बाहर निकलना बहुत मुश्किल है इसकी वजह निकोटिन की लत है। निकोटिन दिमाग में डोपामाइन रिलीज करता है जिसे व्यक्ति को खुशी और थोड़ी देर का सुकून मिलता है। यही वजह है कि व्यक्ति सिगरेट की लत को छोड़ नहीं पाता।
शराब की लत भी कम नहीं
शराब का असर भी सीधा दिमाग पर होता है। अल्कोहल न्यूरोट्रांसमीटर्स को प्रभावित करता है, जिससे व्यक्ति को या तो शांति का या फिर उत्साह का अनुभव होता है। आमतौर पर 1 से 2 साल में इसकी लत लग जाती है, लेकिन अगर 5 साल तक नियमित सेवन किया जाए तो छोड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है।
कितने दिन में लगती है लत?
सिगरेट की लत लगने में 6 महीने लगते हैं और 2-3 साल बाद लत लगनी शुरू हो जाती है। शराब की लत लगने में थोड़ा समय लगता है आमतौर पर 1 से 2 साल में शराब की लत लगती है लेकिन लगातार 5 साल तक इसका सेवन करने से व्यक्ति को शराब की लत लग जाती है जिसे छोड़ना बाद में बहुत मुश्किल हो जाता है।
WHO का क्या कहना है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निकोटिन की लत सबसे तेजी से लगती है और इसे छोड़ना सबसे मुश्किल होता है। सिगरेट की आदत आमतौर पर दिनचर्या का हिस्सा बन जाती है — जैसे सुबह की चाय के साथ, काम के ब्रेक में या तनाव के वक्त। यही कारण है कि यह सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक लत भी बन जाती है। इसे छोड़ने में कई बार महीनों या सालों की मेहनत लगती है। जब भी कोई इंसान इस लत से उबरना चाहे तो जल्दी छूटती नहीं।
