रक्षाबंधन का त्योहार नजदीक है और बाजारों में राखियों की रौनक दिखने लगी है। भाई-बहन के इस प्रेम के पर्व पर बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिन राखियों से बाजार सजते हैं, उनमें सबसे बड़ी भूमिका मेरठ की है?
मेरठ की राखियों की देश-विदेश में धूम
उत्तर प्रदेश का मेरठ अब राखियों की राजधानी बन चुका है। यहां बनने वाली राखियों की मांग सिर्फ यूपी और आसपास के राज्यों तक ही सीमित नहीं, बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा जैसे देशों तक पहुंच चुकी है। हजारों बहनें मेरठ से राखियां खरीदकर विदेश में रहने वाले भाइयों को भेजती हैं।
तीन प्रमुख ब्रांड्स की सबसे ज्यादा डिमांड
मेरठ की तीन मशहूर राखी ब्रांड्स- लक्ष्मी राखी, नवरंग राखी और शुभम राखी खासतौर पर बहनों की पहली पसंद बन चुकी हैं। इन ब्रांड्स में हर वर्ग के लिए राखियां मिलती हैं। साधारण राखियों से लेकर मीनाकारी और डिज़ाइनर राखियों की कीमत ₹10 से शुरू होकर ₹1500 तक जाती है।
इको-फ्रेंडली राखियों का नया ट्रेंड
इस साल इको-फ्रेंडली राखियों का चलन तेजी से बढ़ा है। लकड़ी और कलावे से बनी इन राखियों को पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है। इन राखियों के माध्यम से न सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते की डोर बंधती है, बल्कि समाज में ‘हरियाली बचाओ’ और ‘प्रकृति संरक्षण’ का संदेश भी फैलता है।
सोने-चांदी की राखियों की अलग बात
मेरठ की सर्राफा मंडी में सोने और चांदी की राखियां भी तैयार की जा रही हैं। खास बात यह है कि इन्हें रक्षाबंधन के बाद बहनें पेंडेंट या लॉकेट की तरह भी इस्तेमाल कर सकती हैं। इस कारण इन राखियों की भी डिमांड लगातार बढ़ रही है।
25 करोड़ तक का कारोबार, इस बार नया रिकॉर्ड संभव
जानकारों के मुताबिक रक्षाबंधन से पहले मेरठ में राखियों का कारोबार हर साल करीब 20 से 25 करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है। लेकिन इस बार जिस तरह से राखियों की मांग बढ़ी है और नए डिज़ाइन बाजार में उतारे गए हैं, उससे उम्मीद है कि यह कारोबार 30 करोड़ के पार जा सकता है।
राखी से जुड़ी मेहनत और भावना
मेरठ में सैकड़ों कारीगर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। कई महिलाएं भी घरों में बैठकर राखियां बनाती हैं, जिससे उन्हें आजीविका का साधन भी मिलता है। ये राखियां केवल धागा नहीं, भाई-बहन के रिश्ते और लोकल हुनर की मिसाल हैं।
रक्षाबंधन का त्योहार हो और मेरठ की राखियों की बात न हो- अब ये मुमकिन नहीं! इस बार फिर मेरठ की राखियां देश-विदेश में भाई-बहन के रिश्ते की डोर को और मजबूत कर रही हैं।
