Kolkata बना देश का ‘ड्रिंकिंग कैपिटल’, दिल्ली-मुंबई भी पीछे नहीं, देश में 16 करोड़ लोग शराबी!

भारत में शराब पीने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हर साल अरबों लीटर शराब की खपत हो रही है और यह आंकड़ा लगातार चौंकाने वाला होता जा रहा है। एक हालिया रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि देश में लगभग 16 करोड़ लोग शराब का सेवन करते हैं। यह रिपोर्ट इकोनॉमिक रिसर्च एजेंसी ICRIER और लॉ कंसल्टिंग फर्म PLR चैंबर्स ने तैयार की है। यह रिपोर्ट न सिर्फ राज्य बल्कि शहर के हिसाब से भी शराब पीने वालों के आंकड़े सामने रखती है।

छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा शराबी आबादी

इस रिपोर्ट में सबसे ज्यादा शराब की खपत वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ को पहले स्थान पर रखा गया है। यहां की कुल आबादी में से लगभग 35.6 प्रतिशत लोग शराब पीते हैं। छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में शराब पर सरकारी नियंत्रण और दुकान संचालन की व्यवस्था सरकार खुद देखती है, जिससे आंकड़े आसानी से सामने आ जाते हैं।

कोलकाता बना शराब की राजधानी

अगर बात शहरों की करें तो कोलकाता शराब की खपत के मामले में सबसे ऊपर है। साल 2021 में हुई एक स्टडी के अनुसार कोलकाता में शराब पीने की दर 32.9 प्रतिशत पाई गई, जो देश के किसी भी बड़े शहर की तुलना में सबसे अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोलकाता में बदलती जीवनशैली, पार्टी कल्चर और आधुनिक सोच ने शराब को सामाजिक रूप से ज्यादा स्वीकार्य बना दिया है। इस वजह से यहां शराब की खपत तेज़ी से बढ़ी है।

दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ भी पीछे नहीं

रिपोर्ट के अनुसार कोलकाता के बाद दिल्ली का नंबर आता है। देश की राजधानी दिल्ली में 31 प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं। वहीं, तीसरे नंबर पर चंडीगढ़ है जहां 29.1 प्रतिशत लोग शराब पीते हैं। इसके बाद मुंबई का नंबर आता है जहां 28.1 प्रतिशत लोगों ने शराब को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना लिया है। लखनऊ में यह आंकड़ा 27.9 प्रतिशत है। देश का आईटी हब कहे जाने वाला बेंगलुरु भी शराब की खपत के मामले में पीछे नहीं है। यहां 27.3 प्रतिशत लोग शराब पीते हैं। पुणे में यह आंकड़ा 26.2 और भुवनेश्वर में 24.9 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

आखिर क्यों बढ़ रही है खपत?

ये आंकड़े यह दर्शाते हैं कि सिर्फ बड़े महानगर ही नहीं, बल्कि अन्य उभरते शहरों में भी शराब पीने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि युवाओं में तनाव, करियर का दबाव, सामाजिक जीवन में प्रतिस्पर्धा और इंटरनेट पर शराब को लेकर दिखाए जाने वाले ग्लैमर का भी इस बढ़ती आदत में बड़ा हाथ है। इसके साथ ही पार्टी संस्कृति और वीकेंड रिलैक्सेशन जैसे ट्रेंड ने भी शराब की खपत को सामान्य बना दिया है।

इन आंकड़ों से यह साफ हो जाता है कि भारत में शराब पीने की प्रवृत्ति तेजी से आम हो रही है। यह समाज के हर वर्ग और आयु समूह को प्रभावित कर रही है। ऐसे में यह जरूरी है कि समाज और सरकार मिलकर इस पर जागरूकता फैलाएं ताकि शराब से होने वाले नुकसान को रोका जा सके और एक संतुलित और स्वस्थ समाज की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra

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