इन दिनों देश में सिर्फ क्रिकेट का रोमांच नहीं, बल्कि एक बड़ी बहस भी चल रही है – भारत-पाकिस्तान मैच होना चाहिए या नहीं? ये चर्चा अब संसद तक जा पहुंची है। जिस वक्त संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बहस चल रही थी, उसी दौरान भारत-पाक मैच पर नेताओं के तीखे बयान सामने आए, जिसने सत्ता से लेकर विपक्ष तक सभी को चौंका दिया।
सबसे तीखा हमला AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने किया
ओवैसी ने सवाल उठाया कि जब हमारे जवान शहीद हो रहे हैं, तब भारत को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलने की क्या ज़रूरत है? उन्होंने पूछा, “जब व्यापार, वीज़ा और फिल्में सब बंद हैं, तो क्रिकेट क्यों नहीं?” उन्होंने इसे शहीदों के सम्मान के खिलाफ बताया।
ओवैसी के बयान के बाद सदन की फिजा गर्म हो गई। इसके बाद कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद ने भी सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा, “जिस ऑपरेशन को आपने ‘सिंदूर’ जैसा पवित्र नाम दिया, उसी के तुरंत बाद पाकिस्तान से खेलने की बात करना क्या शहीदों का अपमान नहीं?” उन्होंने सवाल उठाया कि क्या शहीदों की विधवाएं यह मैच देखकर ताली बजाएंगी?
इसके बाद शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने बीसीसीआई पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा, “क्या बीसीसीआई अब देश से बड़ा हो गया है? अगर ये मैच होता है, तो जनता इसका विरोध सड़कों पर करेगी।”
इसी कड़ी में शिवसेना के ही सांसद अरविंद सावंत ने इस फैसले को “साजिश” बताया। उन्होंने कहा, “जिस दिन एलओसी पर खून बहा, उसी दिन भारत-पाक मैच का ऐलान कर दिया गया? ये महज संयोग नहीं हो सकता।”
सिर्फ नेता नहीं, शहीदों के परिवार भी नाराज़
कानपुर के शहीद जवान शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या ने भी अपना दर्द साझा किया। उन्होंने साफ कहा, “ऐसे वक्त में जब जवान शहीद हो रहे हैं, भारत को पाकिस्तान से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहिए। यह मैच नहीं होना चाहिए।”
अब सवाल यह है कि जब देश के जवान सीमा पर जान दे रहे हैं और संसद में इसका दर्द गूंज रहा है, तब क्या क्रिकेट को सिर्फ खेल माना जा सकता है?
फैसला अब बीसीसीआई के पाले में
सभी की निगाहें अब बीसीसीआई पर हैं। खबर है कि बोर्ड इस विवाद पर विचार कर रहा है और जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकता है।
ये सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सम्मान से जुड़ा मसला बन चुका है। अब देखना है कि मैदान में बल्ला चलेगा या राष्ट्रवाद की भावना भारी पड़ेगी।
