Jagdeep Dhankhar का बड़ा फैसला, भारत के 14वें उपराष्ट्रपति ने अचानक छोड़ा पद, क्या है वजह?

भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित पत्र में अपने स्वास्थ्य कारणों और डॉक्टर्स की सलाह का हवाला देते हुए इस्तीफा सौंपा। धनखड़ ने संविधान के अनुच्छेद 67 (a) के तहत यह त्यागपत्र दिया है। अपने पत्र में उन्होंने साफ कहा कि स्वास्थ्य की प्राथमिकता और चिकित्सकों की सलाह को ध्यान में रखते हुए वह अब इस पद पर बने नहीं रह सकते।

धनखड़ का भावुक संदेश

धनखड़ ने इस्तीफे के पत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्रिपरिषद का भी विशेष आभार जताया। उन्होंने कहा कि उन्हें संसद के सभी माननीय सदस्यों से जो सम्मान और विश्वास मिला, वह हमेशा उनके हृदय में संचित रहेगा। उपराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल को याद करते हुए उन्होंने इसे जीवन का अमूल्य अनुभव बताया। अपने पत्र में उन्होंने भारत के उज्ज्वल भविष्य और विश्व मंच पर देश के बढ़ते सम्मान पर अटूट विश्वास जताते हुए इसे गर्व का विषय बताया।

14वें उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल

जगदीप धनखड़ ने 6 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। उस चुनाव में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को बड़े अंतर से हराया था। उपराष्ट्रपति के रूप में उन्होंने राज्यसभा के सभापति की भूमिका निभाई और संसदीय परंपराओं को बनाए रखने में सक्रिय योगदान दिया। उनका कार्यकाल लगभग दो साल का रहा।

राजनीतिक और प्रशासनिक सफर

उपराष्ट्रपति बनने से पहले धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे। इस दौरान वह कई बार सुर्खियों में रहे और राज्य की राजनीतिक गतिविधियों में अहम भूमिका निभाई। राजनीति में आने से पहले वह राजस्थान हाई कोर्ट के नामी वकीलों में से एक थे। उनकी सटीक कानूनी समझ और स्पष्ट विचारों ने उन्हें तेजी से पहचान दिलाई।

धनखड़ की जन्म और शिक्षा

धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव से प्राप्त की और आगे की पढ़ाई चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल में की। उनका चयन नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) में हो गया था, लेकिन उन्होंने सेना की बजाय कानून की पढ़ाई को प्राथमिकता दी। राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने जयपुर में वकालत की शुरुआत की और कुछ ही वर्षों में वे हाई कोर्ट के प्रमुख वकीलों में शामिल हो गए।

भविष्य की तैयारी और देश की उम्मीदें

धनखड़ का अचानक इस्तीफा देश की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है। स्वास्थ्य कारणों से लिया गया यह निर्णय कई लोगों के लिए चौंकाने वाला है। उनके इस्तीफे के बाद अब नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। धनखड़ ने अपने कार्यकाल में जिस तरह से संसद और जनता का विश्वास जीता, वह हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने अपने इस्तीफे के साथ एक भावुक संदेश दिया है कि भारत का भविष्य उज्ज्वल है और यह महान लोकतंत्र आगे और ऊंचाइयों को छुएगा।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra

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