मुंबई और महाराष्ट्र में उबर, ओला और रैपिडो जैसी एग्रीगेटर टैक्सी सर्विस की स्ट्राइक से लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। कुछ तो इसका फायदा उठाकर ज्यादा पैसा ले रहे हैं।
मुंबई और महाराष्ट्र के कई शहरों में Ola, Uber और Rapido जैसी ऐप-आधारित टैक्सी सेवाएं पिछले कुछ दिनों से बुरी तरह प्रभावित हैं। इसके पीछे वजह है इन कैब कंपनियों के ड्राइवरों की लगातार जारी हड़ताल। जो अब चौथे दिन में पहुंच चुकी है। इस हड़ताल के चलते यात्रियों को कैब बुक करने में देरी, कैंसिलेशन और ज्यादा किराया जैसे समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कम टैक्सियों की वजह से हजारों लोग रोज सफर रहे हैं। कुछ मामले में लोगों को कैब के लिए भी ज्यादा पैसे भी देने पड़ रहे हैं। आखिर ड्राइवर हड़ताल पर क्यों है और सरकार से उनकी क्या मांग है?
क्यों हड़ताल कर रहे हैं ड्राइवर?
ड्राइवरों का कहना है कि एग्रीगेटर कंपनियां जैसे Ola, Uber और Rapido उनसे कम किराया वसूलती हैं, जबकि कमीशन लगातार बढ़ा रही हैं। इससे उनकी कमाई घट गई है और कार की EMI, ईंधन और रखरखाव खर्च पूरा करना मुश्किल हो गया है। मुंबई में बुधवार (16 जुलाई) को एक 46 वर्षीय कैब ड्राइवर ने आत्महत्या कर ली थी, क्योंकि वह अपनी कार की किश्तें चुकाने में असमर्थ था। इसके बाद उबर, ओला और रैपिडो के ड्राइवर्स की हड़ताल और तेज हो गई। मुंबई से शुरू हुआ ये हड़ताल जो अब पुणे, नागपुर और नासिक जैसे शहरों में भी फैल गई है।
सरकार से ड्राइवरों की 6 बड़ी मांगें
1.ड्राइवर चाहते हैं कि ऐप के ज़रिए बुकिंग होने पर भी सरकारी दरों (RTA rates) को मान्यता मिले।
2.ड्राइवर्स के अनुसार, ये प्लेटफॉर्म अक्सर भारी छूट पर लोगों को यात्राएं प्रदान करते हैं और ऑफर के तहत दी गई छूट के पैसे ड्राइवरों को दिए जाने वाले पैसे से काट लिए जाते हैं। ड्राइवर्स चाहते हैं कि एग्रीगेटर ड्राइवरों की कमाई कम करने के बजाय ऐसी छूट का खर्च खुद वहन करें।
3.सर्ज प्राइसिंग को फायदा बराबर मिल क्योंकि जब किराया ज्यादा वसूला जाता है (सर्ज टाइम), तब उसका फायदा कंपनियां लेती हैं। ड्राइवर चाहते हैं कि उन्हें भी उसका हिस्सा मिले।
4.एक और प्रमुख मांग यह है कि ‘कूल कैब’ श्रेणी के अंतर्गत आने वाली वातानुकूलित एसयूवी कैब के लिए अलग से किराया स्लैब निर्धारित किया जाना चाहिए जो उनकी उच्च परिचालन लागत के अनुरूप हो।
5.ID ब्लॉकिंग पर नियम बनाया जाए, ड्राइवरों का आरोप है कि छोटी शिकायतों पर उनका ऐप ID ब्लॉक कर दिया जाता है। वे पारदर्शी जांच प्रक्रिया की मांग कर रहे हैं।
6.ड्राइवर नए कैब और ऑटो-रिक्शा परमिट जारी करने पर भी प्रतिबंध चाहते हैं और वित्तीय एवं कानूनी सहायता के लिए उन्हें मौजूदा ऑटो रिक्शा एवं टैक्सी कल्याण बोर्ड के अंतर्गत शामिल करना चाहते हैं।
क्या सरकार इन शर्तों पर राजी है!
महाराष्ट्र सरकार ने एग्रीगेटर सर्विस को विनियमित करने के लिए एक विशेष नीति की घोषणा एक साल से भी ज्यादा समय पहले की थी, लेकिन अभी तक यह लागू नहीं हो पाई है। परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एग्रीगेटर कंपनियों के लिए नियम बनाने का काम लगभग पूरा है, लेकिन अभी तक इसे अंतिम मंजूरी नहीं मिली है। इसी वजह से ऐप-आधारित सेवाओं पर कोई ठोस नियंत्रण नहीं है। महाराष्ट्र कामगार सभा के अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि एग्रीगेटर कंपनियां ड्राइवरों का शोषण कर रही हैं और सरकार को जल्द हस्तक्षेप करना चाहिए।
सरकारी अधिकारी क्या कह रहे हैं?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कैब ड्राइवर्स के मौजूदा हड़ताल पर अधिकारियों का कहना है कि यह ड्राइवरों और एग्रीगेटर्स के बीच का मामला है। महाराष्ट्र कामगार सभा के अध्यक्ष डॉ. केशव क्षीरसागर ने आरोप लगाया कि एग्रीगेटर कंपनियां वर्कर्स का शोषण कर रही हैं। उन्होंने कहा कि ड्राइवर हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं, क्योंकि उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। स्थिति बिगड़ने से पहले सरकार को जवाब देना होगा।
हड़ताल से यात्रियों की बढ़ी मुश्किलें
मुंबई में करीब 1.2 लाख ऐप-आधारित कैब चलती हैं। सभी ड्राइवर हड़ताल पर नहीं हैं, लेकिन जो बंद हैं, उनकी वजह से ऑफिस टाइम में लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और BKC, अंधेरी, ठाणे जैसे क्षेत्रों में सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है।
