भारत की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस ने ऑपरेशन सिंदूर में शानदार प्रदर्शन कर सबको चौंका दिया। ध्वनि की गति से तीन गुना तेज चलने वाली इस मिसाइल ने न केवल ऑपरेशन को सफल बनाया, बल्कि भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में नई पहचान दिलाई। अब 14 देशों ने इसे खरीदने में रुचि दिखाई है।
ब्रह्मोस का पहला असली युद्ध प्रयोग
भारत और रूस की साझेदारी से बनी ब्रह्मोस मिसाइल अपनी तेज रफ्तार और सटीक निशानेबाजी के लिए जानी जाती है। यह मिसाइल दुश्मन की हवाई सुरक्षा को चकमा देने में सक्षम है। ऑपरेशन सिंदूर में इसकी सफलता भारत की ताकत का बड़ा सबूत बनी।
लखनऊ बना ब्रह्मोस उत्पादन का केंद्र
ऑपरेशन के बाद लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल का अत्याधुनिक उत्पादन और परीक्षण संयंत्र शुरू हो गया है। यह संयंत्र यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का हिस्सा है। यहां हर साल 80 से 100 मिसाइलें बनाई जाएंगी, जिसे आगे बढ़ाकर 150 तक करने की योजना है।
भारत अब टाइटेनियम तकनीक में दुनिया का छठा देश
लखनऊ प्लांट में स्ट्रैटेजिक मटेरियल टेक्नोलॉजी कॉम्प्लेक्स भी स्थापित किया गया है, जहां टाइटेनियम और सुपरएलॉय जैसे उन्नत मटेरियल बनाए जा रहे हैं। पहले यह तकनीक सिर्फ अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन और ब्रिटेन के पास थी। भारत अब छठा देश बन गया है जो इस तकनीक में महारत हासिल कर चुका है।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की उड़ान
पहले भारत को विमान, पनडुब्बी और मिसाइलों के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता था। अब लखनऊ का यह प्लांट भारत को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाएगा। इससे 25,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा और भारत रक्षा निर्यात में बड़ा खिलाड़ी बनेगा।
दुनिया में ब्रह्मोस की मांग बढ़ी
फिलीपींस पहले ही ब्रह्मोस खरीद चुका है। अब वियतनाम, इंडोनेशिया और अन्य देशों ने भी रुचि दिखाई है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद सप्लाई चेन की अहमियत और बढ़ गई है, ऐसे में भारत के लिए यह बड़ा अवसर है।
भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में दिलाई मजबूती
ब्रह्मोस की सफलता ने भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में मजबूत किया है। लखनऊ का यह नया प्लांट भारत को न केवल आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि हजारों रोजगार और अरबों डॉलर के रक्षा निर्यात का रास्ता खोलेगा।
