Banswara में अद्भुत आस्था का त्योहार,ना मंदिर, ना मजार, वागड़ में है एकता का अद्भुत दरबार!

श्रावण का पवित्र महीना, भगवान शिव की भक्ति का चरम पर्व माना जाता है। लेकिन राजस्थान के वागड़ अंचल में, खासकर बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों में, श्रावण की शुरुआत थोड़ी अनूठी होती है। बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द और सबको अपना समझने की अनोखी मिसाल भी पेश करता है।

दरअसल राजस्थान के वागड़ अंचल में स्थित मदारेश्वर महादेव मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहां आस्था, प्रेम और भाईचारे का संगम देखने को मिलता है। बांसवाड़ा जिले के मुख्यालय की तलहटी में स्थित यह मंदिर श्रावण के महीने में खासा चर्चित हो जाता है। लेकिन इसकी खासियत सिर्फ शिव भक्ति नहीं, बल्कि यह है कि यहां हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग एक साथ श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

मंदिर परिसर में स्थित है मजार

इस मंदिर को जो बात सबसे अलग और खास बनाती है, वह है इसके परिसर में स्थित मदार फकीर बाबा की मजार। यह एक ऐसा दृश्य है जो शायद ही कहीं और देखने को मिले। जहां शिव के पुजारी, भगवान भोलेनाथ की आराधना के साथ-साथ, पूरी श्रद्धा से मजार पर इबादत भी करते हैं।

श्रावण में दिखती है सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल

श्रावण के इन दिनों में मदारेश्वर महादेव मंदिर में रोज़ हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। दिलचस्प बात यह है कि यहां किसी धर्म, जाति या संप्रदाय का भेदभाव नहीं होता। सभी लोग एक-दूसरे की आस्था का सम्मान करते हैं और सौहार्द का संदेश फैलाते हैं। मंदिर का सबसे बड़ा संदेश यही है कि भक्ति कभी बांटती नहीं, बल्कि जोड़ती है। यहां हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग साथ मिलकर पूजा करते हैं, दुआ मांगते हैं और एकता का उदाहरण पेश करते हैं। यह मंदिर बताता है कि असली श्रद्धा धर्म की सीमाओं से परे होती है।

समरसता का संदेश देती परंपरा

बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों में श्रावण मास की शुरुआत हरियाली अमावस्या के करीब 15 दिन बाद होती है। इसलिए यहां यह पर्व लगभग डेढ़ महीने तक चलता है। इस दौरान भक्त शिव आराधना में डूबे रहते हैं और मंदिर परिसर भक्ति, भजन और धार्मिक अनुष्ठानों से गूंजता है। मदारेश्वर महादेव मंदिर इस विस्तारित श्रावण का केंद्र बिंदु बन जाता है, जहां हर दिन सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल गूंजती है।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra

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