श्रवण कुमार की कहानी तो सभी ने सुनी है, लेकिन कलयुग में एक बहू ने इस कथा को सजीव कर दिखाया है. उत्तर प्रदेश के हापुड़ की आरती ने अपनी वृद्ध सास को कांवड़ में बिठाकर तीर्थ यात्रा करवाई, जिससे वह पूरे देश में मिसाल बन गई हैं. आरती की इस सेवा भावना को देखकर हर कोई उन्हें “बहू हो तो ऐसी” कह रहा है.
सास के लिए बना सेवा का संकल्प
आरती ने न केवल अपनी सास को हरिद्वार ले जाकर गंगा स्नान कराया, बल्कि उन्हें कांवड़ में बिठाकर यात्रा भी शुरू की. आमतौर पर यह यात्रा गंगाजल लाने के लिए की जाती है, लेकिन आरती ने इसे सास की श्रद्धा के साथ जोड़कर इसे और भी पवित्र बना दिया. उनका कहना है कि यह विचार उन्हें भगवान शिव की कृपा से आया और उन्होंने यह निर्णय मन से लिया.
श्रद्धा, शक्ति और रिश्तों की जीत
जब आरती ने यह योजना बताई, तो उनकी सास को शक था कि वह ऐसा कर भी पाएंगी या नहीं. लेकिन आरती ने न सिर्फ यह यात्रा शुरू की, बल्कि पूरे आत्मविश्वास और निष्ठा के साथ निभाई. इस यात्रा में आरती की बेटी भी उनके साथ है, जो तीन पीढ़ियों के रिश्तों को और भी सुंदर बना देती है.
कांवड़ यात्रा के नियमों का भी रखा ध्यान
आरती ने न केवल सास की सेवा की, बल्कि कांवड़ यात्रा के नियमों का भी पूरा पालन किया. स्नान करके यात्रा शुरू की, नशा और मांसाहार से दूर रहीं, और पूरे रास्ते शिव मंत्रों का जाप करती रहीं. यह यात्रा उनके लिए आस्था ही नहीं, आत्मिक अनुशासन और प्रेम की परिभाषा बन गई.
सोशल मीडिया पर छाया भावुक वीडियो
आरती की यह यात्रा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. लोग उन्हें महिला श्रवण कुमार कहकर सम्मान दे रहे हैं. सावन के पावन माह में यह कहानी न सिर्फ शिव भक्ति की प्रेरणा बन गई है, बल्कि हर बहू-बेटे को रिश्तों की गहराई और सेवा का महत्व समझाने वाली मिसाल भी बन चुकी है.
