उत्तर प्रदेश में निजीकरण के प्रस्ताव को वापस लिए जाने तक बिजली महापंचायत नेआंदोलन जारी रखने का संकल्प लिया है, साथ ही यह चेतावनी भी दी कि आंदोलन को दबाने की किसी भी कोशिश से पूरे राज्य में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो जाएगा।
उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण के विरोध में पूरे राज्य का माहौल गरमा गया है। राजधानी लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया लॉ कॉलेज में रविवार को हुई ‘बिजली महापंचायत’ में कर्मचारियों, किसानों, उपभोक्ताओं और विभिन्न संगठनों ने एकजुट होकर निजीकरण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पंचायत में साफ तौर पर चेतावनी दी गई कि यदि निजीकरण की प्रक्रिया को नहीं रोका गया तो राज्यभर में जेल भरो आंदोलन और अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू किया जाएगा।
महापंचायत में वक्ताओं ने कहा कि जैसे ही पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के टेंडर जारी होंगे, पूरे प्रदेश में जनांदोलन की शुरुआत कर दी जाएगी। इस आंदोलन को रेलवे यूनियन, किसान संगठनों, शिक्षक संघों और अन्य राज्य कर्मचारी संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है। रेलवे यूनियन के नेता शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि अगर सरकार ने ज़बरदस्ती की, तो देशभर के रेलवे कर्मचारी बिजली कर्मचारियों के साथ गिरफ्तारी देंगे।
2 जुलाई को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन
राजधानी के आशियाना स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया लॉ कॉलेज के प्रेक्षागृह में बुलाई गई ‘बिजली महापंचायत’ में तय किया गया कि फैसला नहीं बदले जाने और पूर्वांचल तथा दक्षिणांचल विद्युत वितरण कंपनियों (Discoms) के निजीकरण को लेकर टेंडर जारी होते ही उत्तर प्रदेश में प्रदेश स्तर पर जनांदोलन और जेल भरो आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।
रेलवे यूनियन के नेता शिव गोपाल मिश्रा ने प्रदेश सरकार को चेतावनी दी कि अगर निजीकरण लागू किया जाता है तो पूरे भारत में रेलवे कर्मचारी बिजली कर्मचारियों के साथ एकजुटता से खड़े होंगे और उनके साथ अदालती गिरफ्तारी में भी शामिल होंगे। किसान नेता दर्शन पाल और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के रमानाथ झा ने भी महापंचायत को वर्चुअली तौर पर संबोधित करते हुए इस आंदोलन को अपना पूरा समर्थन दिया। साथ ही राज्य के कई कर्मचारी संघों, इंजीनियरों के ग्रुप और शिक्षक संघों ने भी आंदोलन के साथ एकजुटता दिखाने का ऐलान किया। 9 जुलाई को एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल (symbolic strike) किया जाएगा जिसमें करीब 27 लाख बिजली क्षेत्र के कर्मचारी शामिल होंगे।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा, “अगर प्राइवेटाइजेशन टेंडर जारी किए जाते हैं, तो हम किसानों और उपभोक्ताओं के पूर्ण समर्थन के साथ यूपी में अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार (indefinite work boycott) और जेल भरो आंदोलन शुरू करेंगे.”
पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा कि मंत्री ने कहा जनहित में बिजली प्राइवेट करनी पड़ेगी। उन्हें मंत्री इसीलिए बनाया गया था। लेकिन हमें उम्मीद है कर्मचारी इसे रोक लेंगे। वह मंत्री इसीलिए बनाए गए ताकि विभाग को बेच सकें।
42 जिलों पर असर और दरों में बढ़ोतरी की तैयारी
सरकार की योजना है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जिलों को पीपीपी मॉडल के तहत निजी कंपनियों को सौंपा जाए। दूसरी तरफ, पावर कॉर्पोरेशन ने 30 से 45 फीसदी तक बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव भी नियामक आयोग को भेजा है, जिसकी सुनवाई 7 जुलाई को होनी है।
नियामक आयोग ने शुरू किया परीक्षण
दूसरी ओर, पिछले हफ्ते दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्राइवेटाइजेशन के प्रस्ताव पर राज्य विद्युत नियामक आयोग ने अपना परीक्षण शुरू कर दिया है। आयोग के एक अधिकारी का कहना है कि परीक्षण की प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा, जिसके बाद वह अपने सुझाव राज्य सरकार को भेज देगा। प्रदेश में निजीकरण की प्रक्रिया के तहत 42 जिलों में बिजली वितरण की व्यवस्था को पीपीपी मॉडल पर किया जाना है। इस योजना में दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के सभी जिले 42 शामिल किए गए हैं।
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में बिजली दर की बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर सुनवाई से पहले नियामक आयोग अपनी संस्तुति राज्य सरकार को भेज देगी, जिससे प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके। आयोग की ओर से संस्तुति किए जाने के बाद पावर कॉरपोरेशन टेंडर प्रक्रिया शुरू करेगा। टेंडर के जरिए जो प्राइवेट कंपनियां वितरण की व्यवस्था को लेना चाहती है, वो अपने आवेदन दाखिल करेंगी। फिर टेंडर खोला जाएगा। इसके बाद उनसे फाइनेंशल बिड मंगवाई जाएगी।
आंदोलन रुकने के नहीं हैं आसार
महापंचायत ने साफ कर दिया कि जब तक सरकार निजीकरण का प्रस्ताव वापस नहीं लेती, आंदोलन बेखौफ और व्यापक होता जाएगा। किसी भी दमनात्मक कार्रवाई की स्थिति में प्रदेश भर में विरोध भड़कने की चेतावनी दी गई है।
