कानपुर कमिश्नरेट पुलिस एक बार फिर कठघरे में है. पांच वर्ष पूर्व हुए बिकरू कांड से सबक न लेने का ताजा उदाहरण सामने आया है. उस समय गैंगस्टर विकास दुबे को दबिश की भनक लगने पर सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या हुई थी. अब जागेश्वर मंदिर चौकी इंचार्ज आदित्य बाजपेई और एक सिपाही पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने एक वांछित अधिवक्ता को दबिश से पहले भगा दिया.
सीसीटीवी फुटेज ने खोली पोल
यह घटना 12 जून की है, जब एसीपी कर्नलगंज अमित सिंह की टीम ने नवाबगंज निवासी अधिवक्ता अनूप शुक्ला के घर दबिश दी थी. अनूप, गैंगस्टर दीनू उपाध्याय उर्फ धीरज के गिरोह का सदस्य माना जा रहा है, जो जमीन कब्जे और रंगदारी में सक्रिय है. फुटेज में दिखा कि दबिश से चंद मिनट पहले चौकी इंचार्ज और सिपाही बाइक से अनूप के पास पहुंचे और इशारे में उसे फरार होने को कहा. इसके बाद अनूप ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर मौके से भाग गया.
30 सेकेंड बाद पहुंचे दबिश देने
वायरल वीडियो में देखा गया कि महज 30 सेकंड बाद ही वही चौकी इंचार्ज एसीपी के साथ दबिश देने उसी स्थान पर पहुंचते हैं. इससे संदेह और भी गहरा गया. फुटेज में आदित्य बाजपेई हंसते हुए कुछ कहते दिखे, जिससे पुलिस की नीयत और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं.
सस्पेंड और मुकदमा, जांच के आदेश
एसीपी कर्नलगंज की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए डीसीपी सेंट्रल ने दोनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया. पुलिस आयुक्त अखिल कुमार ने उनके खिलाफ FIR दर्ज कर विभागीय जांच शुरू कर दी है. उन्होंने स्पष्ट किया कि दोषियों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.
बिकरू जैसे हादसे की आशंका
यह घटना पुलिस तंत्र में व्याप्त अंदरूनी सांठगांठ की ओर इशारा करती है और बिकरू कांड जैसे हादसों की पुनरावृत्ति की आशंका को बल देती है. चौकी इंचार्ज आदित्य बाजपेई ने सफाई दी है कि वह जांच में अपना पक्ष रखेंगे, लेकिन फिलहाल यह मामला यूपी पुलिस की छवि पर गहरा दाग बन गया है.
