कोरोना महामारी के चलते टली 2021 की जनगणना अब 2025 में शुरू होने जा रही है. गृह मंत्रालय ने जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत अधिसूचना जारी कर दी है. इस बार पहली बार जातिगत जनगणना भी साथ कराई जाएगी, जिससे सामाजिक न्याय और नीतिगत फैसलों को नई दिशा मिलने की उम्मीद है.
दो चरणों में पूरी होगी सबसे बड़ी गिनती
जनगणना की प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होगी. पहला चरण अक्टूबर 2026 तक और दूसरा मार्च 2027 तक चलेगा. 1 मार्च 2027 की आधी रात को “रेफरेंस डेट” माना जाएगा, जबकि विशेष राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख व उत्तराखंड के लिए यह तारीख 1 अक्टूबर 2026 होगी.
डिजिटल जनगणना का पहला अनुभव
इस बार जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी. मोबाइल ऐप्स और सेल्फ-एन्यूमरेशन की सुविधा के साथ करीब 34 लाख कर्मचारी घर-घर जाकर जानकारी जुटाएंगे. उन्हें दो महीने की डिजिटल ट्रेनिंग दी जाएगी.
जातिगत डेटा पहली बार जनगणना का हिस्सा
1931 के बाद पहली बार OBC, SC, ST और सामान्य वर्ग की जातियों की गिनती होगी. हर व्यक्ति को अपनी जाति दर्ज कराने का विकल्प दिया जाएगा. इससे सामाजिक-आर्थिक नीतियों, आरक्षण और कल्याणकारी योजनाओं की दिशा तय होगी.
डेटा जारी होने के बाद परिसीमन की तैयारी
जनगणना के प्राथमिक आंकड़े मार्च 2027 तक आएंगे और विस्तार से डेटा दिसंबर 2027 तक. इसके आधार पर 2028 तक परिसीमन प्रक्रिया शुरू होगी. 2029 के लोकसभा चुनाव में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू होने की संभावना भी जताई गई है.
दक्षिण भारत की चिंता, केंद्र का आश्वासन
परिसीमन के बाद दक्षिणी राज्यों की लोकसभा सीटें घटने की आशंका है. सरकार ने भरोसा दिलाया है कि इस प्रक्रिया में सभी राज्यों की चिंताओं का ध्यान रखा जाएगा.
ऐतिहासिक अभ्यास का नया अध्याय
जनगणना 2025 न सिर्फ देश की जनसंख्या को मापेगी, बल्कि सामाजिक असमानताओं को पहचानने और समाधान की दिशा में भी बड़ी भूमिका निभाएगी. यह एक नई नीति संरचना का आधार बनने जा रही है.
