Politics: चंद्रशेखर का नया दांव, थर्ड फ्रंट से 2027 की तैयारी, सपा-बीजेपी को टक्कर की रणनीति

सपा ने कांग्रेस के साथ मिलकर अपनी सियासी वापसी का रास्ता तय कर लिया है। वहीं बीजेपी छोटे-छोटे दलों को मिलाकर सत्ता की हैट्रिक लगाकर इतिहास रचना चाहती है। ऐसे में आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद एनडीए और इंडिया गठबंधन से अलग 2027 के लिए अपना सियासी ताना बाना बुनना शुरू कर दिए है।

उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव अभी दो साल दूर हैं, लेकिन सियासी सरगर्मियां अभी से बढ़ गई हैं। बीजेपी जहां छोटे दलों को साथ लेकर सत्ता की हैट्रिक का सपना देख रही है, वहीं समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर वापसी की कोशिशों में जुटी है। इस बीच, आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद एक नया राजनीतिक मोर्चा बनाने की तैयारी में लग गए हैं।

दलित-पिछड़ा-मुस्लिम समीकरण पर फोकस

सपा के तर्ज पर आजाद समाज पार्टी ने दलित, पिछड़ा और मुस्लिम फार्मूले को अमलीजामा पहनाने के साथ-साथ एक अलग गठबंधन बनाने का प्लान बनाया है। लखनऊ में पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से मुलाकात कर चंद्रशेखर आजाद ने नया गठजोड़ बनाने के संकेत दे दिए हैं। इस तरह से थर्ड फ्रंट बनाने की दिशा की ओर कदम बढ़ाते नजर रहे हैं।

स्वामी प्रसाद के साथ नया गठबंधन

सपा से अलग होकर ‘अपनी जनता पार्टी’ बनाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य और चंद्रशेखर आजाद अब मिलकर एक नया राजनीतिक विकल्प तैयार करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। दोनों नेताओं ने डॉ. भीमराव अंबेडकर और कांशीराम के मिशन को आगे बढ़ाने की बात कही है। माना जा रहा है कि 2027 में ये दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं।
चंद्रशेखर आजाद की नजदीकियां सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान से भी हैं। आजम खान पहले ही इंडिया गठबंधन से नाराजगी जाहिर कर चुके हैं और मुस्लिम राजनीति के नए विकल्प की ओर इशारा कर चुके हैं। ऐसे में चंद्रशेखर, ओवैसी और आजम खान मिलकर मुस्लिम-दलित-ओबीसी समीकरण के सहारे नया सियासी गठबंधन बना सकते हैं।

चंद्रशेखर-स्वामी प्रसाद मिलाया हाथ

चंद्रशेखर आजाद और स्वामी प्रसाद मौर्य के बीच हुई मुलाकात को डा. भीमराव अम्बेडकर और कांशीराम के मिशन को आगे बढ़ाने वाले दो नेताओं की मुलाकात बताई जा रही है। यह मुलाकात अपनी जनता पार्टी के केंद्रीय कार्यालय लखनऊ में हुई और इस दौरान दोनों नेताओं के बीच सामाजिक न्याय, बहुजन एकता और आगामी चुनावी रणनीति पर चर्चा हुई है। माना जा रहा है कि दोनों पार्टियों के बीच एकजुटता और 2027 में मिलकर चुनाव लड़ने की स्ट्रैटेजी पर बात हुई है। इस तरह साफ है कि 2027 के चुनाव में चंद्रशेखर आजाद और स्वामी प्रसाद मौर्य आपसी गठबंधन कर किस्मत आजमा सकते हैं।

स्वामी प्रसाद मौर्य हार्डकोर आंबेडकरवादी नेता माने जाते हैं। लोकदल से लेकर बसपा, बीजेपी और सपा में रह चुके हैं। सपा के महासचिव व एमएलसी के पद से इस्तीफा देकर अपनी पार्टी का गठन किया। 2024 के लोकसभा चुनाव में कुशीनगर सीट से किस्मत आजमाया था, लेकिन जीत नहीं सके। अब 2027 के विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश बढ़ने के साथ ही चंद्रशेखर आजाद से मुलाकात नए गठबंधन बनने के संकेत दे रहे हैं। इस तरह चंद्रशेखर यूपी में तीसरा मोर्चा यानी थर्ड फ्रंट बनाने की स्ट्रैटेजी है।

मायावती ने साधा निशाना

चंद्रशेखर और स्वामी प्रसाद की बढ़ती राजनीतिक सक्रियता से बसपा सुप्रीमो मायावती भी सतर्क हो गई हैं। उन्होंने दोनों नेताओं पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि बहुजन समाज को ऐसे संगठनों से सावधान रहना चाहिए। मायावती ने दावा किया कि बसपा ही दलितों की सच्ची हितैषी पार्टी है और अन्य दल बहुजन वोट बैंक के लिए खेल खेल रहे हैं।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra

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