2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी में सपा-कांग्रेस गठबंधन को बड़ी सफलता मिली, लेकिन सहारनपुर से शुरू हुई खींचतान ने 2027 की राह में कांटे बिछा दिए हैं. कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और सपा विधायक आशु मलिक के बीच खुलेआम बयानबाज़ी से दोनों दलों की केमिस्ट्री बिगड़ती दिख रही है.
सीट बंटवारे पर नहीं बन रही बात
इमरान मसूद ने साफ कर दिया है कि 2027 में 17-63 का फॉर्मूला नहीं चलेगा. कांग्रेस 150 से ज्यादा सीटों की मांग कर रही है, जबकि सपा सिर्फ 60–65 सीटें देने के पक्ष में है. मसूद ने यहां तक कह दिया कि कांग्रेस भीख नहीं मांग रही.
जिलों-जिलों में बढ़ रही खींचतान
रायबरेली, अमेठी, आजमगढ़, मुरादाबाद, जौनपुर, लखीमपुर और कानपुर जैसे जिलों में भी कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. कई जगहों पर कांग्रेस के दावेदारों ने काम शुरू कर दिया है, जबकि सपा इन सीटों को छोड़ने को तैयार नहीं दिख रही.
मुस्लिम वोटों पर सियासी कब्जे की जंग
कांग्रेस मुस्लिम बहुल सीटों पर दावा ठोक रही है, खासकर उन जगहों पर जहां यादव वोटर कम हैं. वहीं सपा इन सीटों को छोड़ने के मूड में नहीं है क्योंकि उसकी राजनीति का आधार मुस्लिम-यादव समीकरण ही है.
2027 की “दो लड़कों की जोड़ी” खतरे में
सपा और कांग्रेस के बीच बढ़ता अविश्वास और नेताओं की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं 2027 में गठबंधन की तस्वीर धुंधली कर रही हैं. अगर स्थिति नहीं सुलझी तो “दो लड़कों की जोड़ी” इतिहास बन सकती है.
