सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन के भव्य कॉरिडोर निर्माण को मंजूरी दे दी है। यह कॉरिडोर पांच एकड़ भूमि में बनाया जाएगा और इसकी अनुमानित लागत 500 करोड़ रुपये होगी। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर की स्थायी जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट) से धन लेकर जमीन खरीदने की अनुमति दी है, बशर्ते वह जमीन मंदिर ट्रस्ट या देवता के नाम पर हो।
हाई कोर्ट के आदेश में संशोधन
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नवंबर 2023 में मंदिर निधि से जमीन खरीदने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश में संशोधन कर इसे मंजूरी दे दी। जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि मंदिरों को संरक्षित रखना आवश्यक है और सुविधाएं बढ़ाने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए।
सरकार का उद्देश्य केवल सुविधा देना
उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया कि वह मंदिर के अंदरूनी प्रबंधन में दखल नहीं देना चाहती, बल्कि केवल भक्तों की सुविधा के लिए कॉरिडोर विकसित करना चाहती है। सरकार ने कहा कि मंदिर क्षेत्रफल में छोटा (मात्र 1,200 वर्ग फुट) है लेकिन यहां प्रतिदिन 40,000 से 50,000 भक्त आते हैं, जबकि सप्ताहांत और त्योहारों में यह संख्या 5 लाख से अधिक हो जाती है।
रिसीवर की नियुक्ति में धार्मिकता का ध्यान
सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा की अदालत को निर्देश दिया है कि वह ऐसा रिसीवर नियुक्त करे जो वैष्णव संप्रदाय से संबंधित हो, वेद-शास्त्रों का ज्ञान रखता हो और मंदिर की धार्मिक परंपराओं से परिचित हो। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर प्रबंधन से जिला प्रशासन और अधिवक्ताओं को दूर रखा जाए।
मंदिर निधि से होगी केवल भूमि की खरीद
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि मंदिर की निधि का उपयोग केवल जमीन खरीदने तक सीमित होगा, निर्माण कार्य में इसका उपयोग नहीं किया जा सकेगा। अधिवक्ता सार्थक चतुर्वेदी ने बताया कि मंदिर खजाने से खर्च की गई राशि का उपयोग पूरी पारदर्शिता के साथ केवल ट्रस्ट के नाम पर जमीन अधिग्रहण में किया जाएगा।
स्थानीय समाज की भावनाओं का सम्मान जरूरी
फैसले में यह भी कहा गया कि वृंदावन और मथुरा वैष्णव संप्रदाय के अत्यंत पवित्र स्थल हैं, इसलिए रिसीवर की नियुक्ति और कॉरिडोर के निर्माण में स्थानीय धार्मिक भावनाओं और परंपराओं का सम्मान किया जाना चाहिए।
न्यायालय का संतुलित दृष्टिकोण
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय प्रशासनिक सुविधा और धार्मिक संवेदनशीलता के संतुलन का उदाहरण है। जहां एक ओर भक्तों की सुविधा के लिए आधुनिक ढांचा विकसित करने की राह खोली गई है, वहीं दूसरी ओर धार्मिक आस्थाओं की रक्षा भी सुनिश्चित की गई है।
