अयोध्या नगरी एक बार फिर ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनने जा रही है। वर्षों के संघर्ष, आस्था और समर्पण के बाद अब प्रभु श्रीराम को उनके भव्य सिंहासन पर प्रतिष्ठित करने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल पर 23 मई 2025 को भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की प्रतिमाओं का प्रतिष्ठापन किया जाएगा। यह अवसर न केवल धार्मिक, बल्कि राष्ट्रीय गौरव से भी जुड़ा है।
जयपुर से आएंगी जीवंत मूर्तियां
प्रतिष्ठापन के लिए तैयार की गई मूर्तियां राजस्थान के जयपुर से मंगाई गई हैं। जयपुर के प्रसिद्ध शिल्पकारों द्वारा सफेद संगमरमर से निर्मित इन प्रतिमाओं को हेम्मार्क फोटोग्राफिक तकनीक से इतनी बारीकी से तराशा गया है कि उनमें जीवंतता झलकती है। इन मूर्तियों में भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी शामिल हैं। भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियां बाद में स्थापित की जाएंगी।
इन प्रतिमाओं की यात्रा 21 मई को जयपुर से आरंभ होगी और 22 मई को अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में पहुंचेगी। इसके अगले दिन 23 मई को विधिवत वैदिक विधियों के साथ भगवान राम को प्रथम तल पर उनके भव्य सिंहासन पर विराजमान किया जाएगा।
गंगा दशहरा पर होगा प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान
प्राण प्रतिष्ठा का भव्य अनुष्ठान 5 जून 2025 को गंगा दशहरा के पावन अवसर पर किया जाएगा। इस आयोजन में देशभर से वैदिक आचार्यों को आमंत्रित किया गया है। वैदिक मंत्रोच्चारण और परंपरागत विधियों के साथ यह अनुष्ठान संपन्न होगा। यह अवसर न केवल श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए आध्यात्मिक चेतना और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बनेगा।
सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
मूर्तियों की यात्रा और प्रतिष्ठापन कार्यक्रम को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा विशेष प्रबंध किए गए हैं ताकि किसी भी प्रकार की बाधा न उत्पन्न हो। राम भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर परिसर और अयोध्या शहर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।
चारों दिशाओं में बन रहे भव्य प्रवेश द्वार
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, मंदिर परिसर के चारों दिशाओं में भव्य प्रवेश द्वारों का निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है। दक्षिण दिशा का द्वार सबसे तेजी से बन रहा है, जिसका अब तक 40 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। यह द्वार 17 मीटर ऊंचा, 30 मीटर लंबा और 11 मीटर चौड़ा होगा। इसे लाल बलुआ पत्थर से बनाया जा रहा है और इसकी दीवारों पर गज, अश्व, सिंह और पुष्प आकृतियों की सुंदर नक्काशी की जा रही है।
भारतीय वास्तुशिल्प का अद्भुत उदाहरण
मंदिर की वास्तुकला भारतीय संस्कृति और परंपरा का जीवंत उदाहरण है। मंदिर का गर्भगृह और प्रथम तल भी पत्थरों से निर्मित है। पश्चिम दिशा में प्रस्तावित प्रवेश द्वार की योजना पर भी कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है और जल्द ही उसका निर्माण कार्य आरंभ होगा।
