समाजवादी पार्टी (सपा) ने 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए तैयारियों में जुट गई है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत—बूथ लेवल कैडर—से प्रेरणा लेते हुए संगठन को जमीनी स्तर से मजबूत करने की रणनीति बनाई है। सपा ने तय किया है कि अब टिकट उसी को मिलेगा, जो बूथ पर सक्रिय होगा।
बूथ पर काम करेने पर मिलेगा टिकट
अखिलेश यादव ने स्पष्ट कर दिया है कि विधानसभा चुनाव 2027 में टिकट की घोषणा कार्यकर्ता की बूथ स्तर की सक्रियता के आधार पर ही की जाएगी। इसके लिए जिला और शहर कमेटियों को निर्देश दिया गया है कि पद पर बने रहना है तो बूथ स्तर पर काम करना पड़ेगा। हर नेता और कार्यकर्ता के काम का मूल्यांकन बूथ स्तर से होगा।
BJP मॉडल पर बूथ मैनेजमेंट की रणनीति
बीजेपी के बूथ प्रबंधन मॉडल से प्रेरणा लेते हुए सपा ने हर बूथ पर 10 सदस्यीय टीम और 5 युवा नेताओं की तैनाती का फैसला लिया है। हर विधानसभा को कई जोन, सेक्टर और बूथ में बांटा गया है, जिससे निगरानी और कार्यप्रणाली अधिक प्रभावी हो सके। बूथ प्रभारी से लेकर जोन कमेटी तक संगठनात्मक ढांचे को धार दी जा रही है।
यूथ की ताकत से मजबूत होगा बूथ
अखिलेश यादव ने निर्देश दिए हैं कि हर बूथ पर कम से कम पांच युवाओं को पार्टी की विचारधारा से जोड़ा जाए। ये युवा संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूती देंगे और मतदान सूची, प्रचार सामग्री और जनसंपर्क जैसे कामों में सक्रिय भागीदारी करेंगे।
वोटर लिस्ट की सख्त निगरानी
सपा ने बूथ स्तर पर मतदाता सूची की निगरानी के लिए एक मैकेनिज्म तैयार किया है। सूची में नाम कटने या गलत नाम जोड़ने की घटनाओं को रोकने के लिए बूथ टीम को सतर्क रहने और समय रहते जानकारी देने को कहा गया है। यह जानकारी सेक्टर, जोन और प्रदेश नेतृत्व तक भी पहुंचाई जाएगी।
गोपनीय समीक्षा और नेतृत्व से सीधा संवाद
हर बूथ पर काम की निगरानी के लिए एक गोपनीय कमेटी बनाई गई है, जो नियमित रूप से बूथ प्रभारी और टीम की सक्रियता की समीक्षा कर रही है। जिन युवाओं का बेहतर प्रदर्शन रहेगा, उनसे अखिलेश यादव और वरिष्ठ नेता सीधे संवाद करेंगे और भविष्य में उन्हें संगठन में अहम भूमिका दी जाएगी।
हर विधानसभा में ‘पीडीए चर्चा’
सपा का फोकस पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) वर्ग पर है। इसके लिए ‘पीडीए चर्चा’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसके जरिए गांव-गांव और घर-घर पार्टी की नीतियों और विचारों को पहुंचाया जा रहा है। लोहिया की विचारधारा, मनुस्मृति का विरोध और उदार बनाम कट्टर हिंदुत्व के फर्क को आम जनता तक ले जाने की रणनीति बनाई गई है।
सपा की तय समयसीमा और लक्ष्य साफ
सपा 2027 चुनाव से छह महीने पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर देगी ताकि उन्हें फील्ड में तैयारी का पूरा समय मिले। इस बार संगठन बूथ पर जितनी मेहनत करेगा, टिकट का फैसला उतना ही आसान होगा। अखिलेश यादव की इस रणनीति का उद्देश्य है कि पार्टी न सिर्फ चुनाव लड़े, बल्कि बूथ जीतकर सत्ता में वापसी करे।
