सनातन धर्म में भगवान हनुमान को जागृत देवता माना गया है। मान्यता है कि हनुमान जी अमर हैं और आज भी धरती पर जीवित हैं। यही कारण है कि कलयुग में उनकी पूजा का विशेष महत्व है। भक्तों का विश्वास है कि जो भी श्रद्धा भाव से हनुमान जी की पूजा करता है, उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से हनुमान जी की आराधना की जाती है।
महिलाएं क्यों नहीं करतीं हनुमान जी की प्रतिमा का स्पर्श?
भगवान हनुमान के प्रति महिलाओं की आस्था उतनी ही गहरी होती है जितनी पुरुषों की, लेकिन परंपरा के अनुसार, महिलाएं हनुमान जी की मूर्ति को स्पर्श नहीं करतीं। इसके पीछे एक प्रमुख धार्मिक कारण है—हनुमान जी ने जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन किया।
एक प्रचलित कथा के अनुसार, हनुमान जी का विवाह सूर्य देव की पुत्री सुवर्चला से हुआ था। यह विवाह केवल चार प्रमुख विद्याओं को प्राप्त करने के उद्देश्य से हुआ था क्योंकि यह ज्ञान एक विवाहित व्यक्ति को ही दिया जा सकता था। विवाह के तुरंत बाद सुवर्चला तपस्या में लीन हो गईं और हनुमान जी ने विद्याएं प्राप्त कर लीं। इस विवाह के बाद भी उन्होंने ब्रह्मचर्य का पालन किया।
इसी कारण हनुमान जी ने हर स्त्री को मां के समान स्थान दिया और उनके प्रति पूर्ण सम्मान का भाव रखा। यही वजह है कि परंपरागत रूप से महिलाएं हनुमान जी की मूर्ति को स्पर्श नहीं करतीं, ताकि उनकी ब्रह्मचर्य व्रत की भावना को सम्मान दिया जा सके।
क्या महिलाएं हनुमान जी की पूजा नहीं कर सकतीं?
यह एक भ्रांति है कि महिलाएं हनुमान जी की पूजा नहीं कर सकतीं। धार्मिक दृष्टिकोण से महिलाओं को हनुमान जी की पूजा करने की पूरी छूट है। वे हनुमान चालीसा का पाठ कर सकती हैं, दीप जलाकर आरती कर सकती हैं, प्रसाद चढ़ा सकती हैं, और मंदिर में जाकर दर्शन भी कर सकती हैं।
केवल मूर्ति को स्पर्श करने से बचने की परंपरा है, जिसे ब्रह्मचर्य के सिद्धांत का सम्मान माना जाता है। यह नियम आस्था और परंपरा पर आधारित है, न कि किसी निषेध या भेदभाव पर।
पूजा के कुछ मुख्य नियम
शुद्धता का ध्यान रखें – हनुमान जी की पूजा से पहले स्नान आदि करके शुद्धता बनाए रखें।
लाल रंग का महत्व – लाल फूल, लाल वस्त्र और सिंदूर अर्पित करना शुभ माना जाता है।
हनुमान चालीसा का पाठ – नियमित पाठ से मानसिक शांति और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
दीपक जलाएं – घी या तिल के तेल का दीपक जलाना विशेष फलदायी होता है।
मंगलवार और शनिवार – इन दिनों विशेष पूजा करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है।
हनुमान जी के प्रति श्रद्धा रखने वालों के लिए उनका ब्रह्मचर्य आदर्श है और महिलाएं भी उसी श्रद्धा के साथ पूजा करती हैं। प्रतिमा को स्पर्श न करने की परंपरा एक धार्मिक मान्यता पर आधारित है, जो हनुमान जी की तपस्या और ब्रह्मचर्य के सम्मान स्वरूप मानी जाती है। हालांकि, यह किसी प्रकार की रोक नहीं बल्कि श्रद्धा का प्रतीक है। महिलाएं हनुमान जी की पूजा कर सकती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकती हैं।
