भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात के बीच केंद्र सरकार ने 7 मई को देशभर के 259 जिलों में मॉक ड्रिल आयोजित करने का फैसला लिया है। यह अभ्यास सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा और नागरिकों को आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इस प्रकार की मॉक ड्रिल का आयोजन 1971 की भारत-पाक युद्ध के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।
क्या होती है मॉक ड्रिल?
मॉक ड्रिल एक तरह का अभ्यास होता है जिसमें एयर स्ट्राइक, बम धमाके या आतंकी हमले जैसी आपात परिस्थितियों की नकल की जाती है। इसका उद्देश्य होता है यह जानना कि ऐसे समय में सेना, पुलिस, नागरिक प्रशासन और आम लोग किस प्रकार प्रतिक्रिया देंगे। इस ड्रिल के माध्यम से न सिर्फ एजेंसियों के बीच तालमेल को परखा जाता है, बल्कि यह भी जाना जाता है कि कहां-कहां खामियां हैं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है।
क्या-क्या होगा इस मॉक ड्रिल में?
7 मई को होने वाली मॉक ड्रिल में हवाई हमले का सायरन बजाया जाएगा, जिसके बाद ब्लैकआउट की स्थिति पैदा की जाएगी। इससे उद्देश्य यह है कि दुश्मन देश को अहम ठिकानों की जानकारी न मिले। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने, घायल नागरिकों को बचाने, आपात प्रतिक्रिया टीमों की क्षमता जांचने, कंट्रोल रूम्स और संचार व्यवस्था के संचालन जैसे कदमों का परीक्षण किया जाएगा।
भारतीय वायुसेना (IAF) के साथ रेडियो कम्युनिकेशन, हॉटलाइन ऑपरेशन, और शैडो कंट्रोल रूम की क्षमता का भी आकलन किया जाएगा। फायर ब्रिगेड, सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स भी इस अभ्यास का हिस्सा होंगे। केंद्र ने स्पष्ट किया है कि यह अभ्यास गांव स्तर तक किया जाएगा ताकि हर नागरिक को इसकी समझ और अनुभव मिल सके।
पाकिस्तान से तनाव के बीच क्यों हो रही यह मॉक ड्रिल?
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार सतर्क हो गई है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिससे भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया। इसी के चलते सरकार ने संभावित खतरे को ध्यान में रखते हुए मॉक ड्रिल कराने का निर्णय लिया है।
ब्लैकआउट एक्सरसाइज से कितनी अलग है मॉक ड्रिल?
हालांकि ब्लैकआउट एक्सरसाइज भी एक आपात अभ्यास है, लेकिन इसका उद्देश्य थोड़ा अलग होता है। ब्लैकआउट एक्सरसाइज में पूरे इलाके की बिजली कुछ समय के लिए काट दी जाती है ताकि दुश्मन देश की निगाहों से अहम ठिकाने छिपाए जा सकें। जबकि मॉक ड्रिल एक समग्र तैयारी अभ्यास है जिसमें ब्लैकआउट के साथ-साथ अन्य आपात प्रतिक्रिया व्यवस्थाओं का भी परीक्षण होता है।
सरकार की सतर्कता और नागरिकों की भूमिका
गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया है। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने अधिकारियों के साथ बैठक कर इसकी तैयारियों की समीक्षा की। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने भी बताया कि इस अभ्यास के जरिए जिन खामियों की पहचान की गई है, उन्हें दूर किया जाएगा। नागरिकों को भी यह सिखाया जाएगा कि संकट की घड़ी में कैसे सुरक्षित रहें और प्रशासन का सहयोग करें।
इस मॉक ड्रिल के जरिए भारत यह संकेत भी दे रहा है कि वह किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है, और नागरिक-सैन्य सहयोग के जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है।
