Astrology: कुंडली में छिपा है धन का खजाना, जानिए कैसे बनता है शुभ धन योग

ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के विशेष भाव और ग्रहों की स्थिति व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को दर्शाते हैं. धन और समृद्धि की बात करें तो कुंडली में कुछ खास योग ऐसे माने जाते हैं, जो जीवन में कभी धन की कमी नहीं होने देते. इन्हीं योगों को ‘धन योग’ कहा जाता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुल 32 प्रकार के योग बताए गए हैं, जिनमें से कई शुभ राजयोग होते हैं, जो व्यक्ति को संपन्न बनाते हैं.

धन भाव और लाभ भाव का महत्व


कुंडली में दूसरा भाव धन का घर कहलाता है. यह व्यक्ति की जमा पूंजी, परिवार और बोलचाल से जुड़ा होता है. वहीं, ग्यारहवां भाव लाभ का भाव होता है, जो आय, मुनाफा और इच्छाओं की पूर्ति से संबंधित होता है. जब इन दोनों भावों में शुभ ग्रहों की स्थिति होती है या इन भावों के स्वामी एक-दूसरे से जुड़ते हैं, तो यह धन योग का निर्माण करते हैं.

भाग्य भाव से बनते हैं शुभ योग


नवम भाव को भाग्य भाव कहा जाता है. यदि भाग्य भाव (नवम), लग्न भाव (पहला भाव) और पंचम भाव (पाँचवां भाव) के स्वामी, धन भाव (दूसरा भाव) और लाभ भाव (ग्यारहवां भाव) के स्वामियों के साथ युति करें, तो यह अत्यंत शुभ धन योग का निर्माण करता है. ऐसे योग से व्यक्ति को जीवन में अचानक धन लाभ, व्यापार में सफलता और संपत्ति की प्राप्ति हो सकती है.

ग्रहों की स्थिति से बनते हैं विशेष योग


कई बार ऐसा भी होता है कि ग्यारहवें भाव का स्वामी, दूसरे भाव में जाकर बैठ जाए या फिर दूसरा भाव का स्वामी, ग्यारहवें भाव में चला जाए. ऐसी स्थिति में भी एक मजबूत और शुभ धन योग बनता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति को कम मेहनत में अधिक लाभ मिलता है और धन की निरंतरता बनी रहती है.

राजयोग और मारक योग में फर्क


32 प्रकार के योगों में से कुछ योग विशेष रूप से राजयोग माने जाते हैं, जो व्यक्ति को उच्च पद, सम्मान और वैभव प्रदान करते हैं. वहीं, कुछ योग ऐसे भी होते हैं जिन्हें मारक योग कहा जाता है – ये व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर सकते हैं. इसलिए कुंडली में केवल भाव ही नहीं, ग्रहों की दृष्टि और दशा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra

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