अमेरिका और रूस की दोस्ती देखकर दुनिया में नए फ्रंट और नए समीकरण बनते जा रहे हैं, ख़बर ये भी है कि ट्रंप और पुतिन की दोस्ती देखकर जर्मनी अब NATO का नया बॉस बनना चाहता है
क्या अब जर्मनी संभालेगा यूक्रेन का मोर्चा? , ताकि पुतिन की सेना डॉनबास से आगे ना बढ़ पाए?
जर्मनी के मिलिट्री बेस अचानक बहुत ज़्यादा ऐक्टिव हो गए हैं, जर्मनी की पूरी फ़ौज हाई अलर्ट पर है। जर्मनी का एक-एक अड्डा इस वक़्त युद्ध के लिये तैयार किया जा रहा है, क्योंकि यूक्रेन का फ़्रंट अब ना ज़ेलेंस्की के बस की बात रही औ ना ही डोनाल्ड ट्रंप के, ये बात जर्मनी को बहुत अच्छी तरह समझ में आ चुकी है
और यही वजह है कि जर्मनी की संसद में सेना पर ख़र्च बढ़ाने के लिये ऐतिहासिक बिल पास हुआ है, अगले दस सालों के लिये जर्मनी के बुनियादी ढांचे में नई जान फूंकने की कोशिश की जा रही है और इसमें सेना को ऐसा हाईटेक बनाने पर भी फ़ोकस है। जिसकी तोड़ रूस के पास ना हो।
इसके लिये अब जर्मनी बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिये 546 अरब डॉलर अगले 10 साल में ख़र्च करेगा
546 अरब डॉलर यानी 47 लाख करोड़ रुपये से भी ज़्यादा की रक़म
इसके साथ ही रक्षा पर ख़र्च को NATO के स्टैंडर्ड यानी GDP के 2% तक बढ़ाने की बात है
जर्मनी की अगली सरकार में संभावित साझेदार अब यूरोप को बचाने की क़सम खा रहे हैं, वो डिफ़ेंस पर होने वाला ख़र्च बढ़ाना चाहते हैं। इसके लिये नियमों में ढील देना चाहते हैं, जर्मनी के नये चांसलर बनने जा रहे फ़्रेडरिक मर्ज़ और मौजूदा चांसलर ओलाफ़ शॉल्ज़ की पार्टी जर्मनी को यूरोप में एक नया दर्जा देना चाहते हैं। जो रूस को बड़ी टक्कर के तौर पर देखा जा रहा है
सवाल है कि क्या पूरे यूरोप को लग रहा है कि ट्रंप ने पुतिन की युद्धविराम वाली शर्तों को मानकर एक तरह से यूक्रेन के साथ पूरे यूरोप को संकट में डाल दिया है?
क्या अमेरिका ने NATO को बहुत बड़ा धोखा दे दिया है और इस धोखे का सबसे बड़ा ख़ामियाज़ा अब यूक्रेन नहीं बल्कि यूरोप उठाएगा?
क्या इसीलिये NATO में अमेरिका की लीडरशिप ख़त्म होती हुई नज़र आ रही है?
क्या इसीलिये अब जर्मनी NATO का नया बॉस बनना चाहता है, क्योंकि रूस के ख़िलाफ़ मोर्चे में एक नये लीडर की ज़रूरत है?
जर्मनी अब बहुत ज़्यादा ताक़तवर बनना चाहता है और इसकी चर्चा पूरे यूरोप में हो रही है, पुतिन भी इससे वाक़िफ़ हैं कि उनको टक्कर देने के लिये NATO का एक बड़ा देश अब अमेरिका की जगह लेना चाहता है
जर्मनी ने अपनी सेना की तादाद भी बढ़ाने की तैयारी कर ली है, जर्मनी में भी आम आदमी को मिलिटरी ट्रेनिंग दी जा रही है। अभी जर्मनी के पास एक लाख 80 हज़ार सैनिक हैं। 2031 तक वो ये तादाद 2 लाख से ज़्यादा करना चाहता है। जबकि रिज़र्व सैनिकों की तादाद भी 60 हज़ार से बढ़ाकर क़रीब 2 लाख करने की तैयारी है। जे़लेंस्की को बचाने के साथ-साथ ख़ुद को बचाने वाला यूरोप का इरादा मज़बूत हो रहा है, इटली के प्रधानमंत्री जियॉर्जिया मेलोनी ने तो यहां तक कह दिया कि NATO के आर्टिकल 5 में बदलाव किया जाए।
NATO के अनुच्छेद 5 में कहा गया है कि किसी सदस्य देश पर अगर हमला होता है। तो वो NATO के सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा। ऐसी हालत में सभी सदस्य देश एकजुट होकर दुश्मन देश पर सैन्य कार्रवाई करेंगे। मेलोनी चाहती हैं कि इस आर्टिकल में संशोधन करके यूक्रेन को भी शामिल कर लेना चाहिए
जियॉर्जिया मेलोनी की बात से ज़ेलेंस्की का जोश बढ़ेगा, इसमें कोई शक नहीं पुतिन के ख़िलाफ़ ज़ेलेंस्की के युद्ध को मेलोनी और ताक़त देना चाहती हैं, मेलोनी से लेकर मैक्रों बता रहे हैं कि यूक्रेन को कैसे बचाया जाएगा और इसी ट्रैक पर चलते हुए रूस को कैसे यूरोप से भी दूर रखा जाएगा
