प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के पहले अमृत स्नान में मंगलवार को दोपहर तीन बजे तक करीब ढाई करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। इस अमृत स्नान की शुरुआत सुबह साढ़े तीन बजे महानिर्वाणी अखाड़े से हुई। सबसे आखिर में निर्मल अखाड़े के साधु-संतों ने स्नान किया।
मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित इस स्नान पर्व में मेला प्रशासन ने दावा किया कि सुबह तीन बजे से शाम तीन बजे तक 3.50 करोड़ लोगों ने संगम में स्नान किया। देर शाम तक और 50 लाख श्रद्धालुओं के स्नान करने की संभावना जताई गई।
शाही स्नान की परंपरा का पालन
परंपरानुसार, सबसे पहले सन्यासी अखाड़ों के साधु-संतों ने अमृत स्नान किया। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साधुओं ने सबसे पहले स्नान किया, उसके बाद श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के साधु-संतों ने हर हर महादेव के जयकारों के बीच स्नान किया। इस दौरान, महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर चेतनगिरी ने बताया कि महाकुंभ का आयोजन हर 144 साल बाद होता है।
अखाड़ा परिषद की भागीदारी
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी की अगुवाई में तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा और आनंद अखाड़ा के साधु-संतों ने स्नान किया। इनके साथ नागा सन्यासियों की टोली भी शामिल रही, जिनमें निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि रथ पर सवार होकर आए।
किन्नर अखाड़ा और बैरागी अखाड़ों का स्नान
जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा, और पंचअग्नि अखाड़े के साधु-संतों के साथ किन्नर अखाड़े के संतों ने भी अमृत स्नान किया। इसके बाद, तीन बैरागी अखाड़ों—निर्मोही अनी, दिगंबर अनी, और निर्वाणी अनी अखाड़ा के साधु-संतों ने स्नान किया।
निर्मल अखाड़े ने सबसे आखिर में किया स्नान
सबसे आखिर में, श्री पंचायती निर्मल अखाड़े के साधु-संतों ने डुबकी लगाई, जिससे पहले अमृत स्नान का समापन हुआ। मेला प्रशासन ने इस विशाल आयोजन के सफलतापूर्वक संपन्न होने पर संतोष व्यक्त किया।
