दिल्ली, भारत की राजधानी, बीजेपी के लिए हमेशा से एक मुश्किल राजनीतिक मैदान रही है। पिछले छह विधानसभा चुनावों में पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने लगातार तीन बार दिल्ली में सत्ता कायम रखी है, और बीजेपी केवल नगर निगम स्तर पर ही मजबूत दिखी है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या आगामी 7वें विधानसभा चुनाव में बीजेपी बाजी पलट पाएगी या फिर एक बार फिर उसे निराशा का सामना करना पड़ेगा। आइए दिल्ली में बीजेपी की कमजोरियों के बारे में जानते हैं।
स्थानीय नेतृत्व का अभाव
दिल्ली में बीजेपी के पास अरविंद केजरीवाल जैसा करिश्माई स्थानीय नेता नहीं है। पार्टी का नेतृत्व अक्सर राष्ट्रीय नेताओं के कंधों पर निर्भर रहता है, जो स्थानीय मुद्दों से पूरी तरह जुड़ नहीं पाते।
स्थानीय बनाम राष्ट्रीय मुद्दे
बीजेपी अक्सर चुनावों में राष्ट्रीय मुद्दों को केंद्र में रखती है, जबकि दिल्ली के मतदाता स्थानीय समस्याओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, और बिजली पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
आप की जमीनी पकड़
‘आप’ की मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी स्कूल सुधार जैसी योजनाओं ने आम जनता के बीच मजबूत पकड़ बनाई है। बीजेपी के पास इन योजनाओं का कोई मजबूत विकल्प नहीं दिखता।
दिल्ली में बीजेपी के लिए क्या अवसर हो सकते हैं, आइए देखते हैं-
आप सरकार की आलोचना
बीजेपी, ‘आप’ सरकार के भ्रष्टाचार के आरोपों और प्रशासनिक कमियों को बड़ा मुद्दा बना सकती है। हाल ही में एलजी और दिल्ली सरकार के बीच हुए विवादों का भी फायदा उठाने की कोशिश हो सकती है।
युवाओं और मध्यम वर्ग पर फोकस
बीजेपी दिल्ली के युवाओं और मध्यम वर्ग के लिए रोजगार और बेहतर सुविधाओं की योजनाएं पेश कर सकती है।
मोदी फैक्टर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्र सरकार की योजनाओं का प्रचार बीजेपी के लिए सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
क्या कह रहे हैं सर्वेक्षण?
अब तक के सर्वे बताते हैं कि ‘आप’ की स्थिति मजबूत बनी हुई है, लेकिन बीजेपी ने कुछ हद तक अपनी पकड़ मजबूत की है। कांग्रेस भी इस बार एक बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है, जो वोटों के बंटवारे का कारण बन सकती है।
दिल्ली का दिल जीतना बीजेपी के लिए आसान नहीं है, लेकिन यह असंभव भी नहीं है। पार्टी को स्थानीय नेतृत्व को मजबूत करना होगा और दिल्ली के मुद्दों पर केंद्रित अभियान चलाना होगा। अगर बीजेपी इस बार अपने रणनीतिक बदलावों में सफल रहती है, तो 7वें चुनाव में बाजी पलटने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
