बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा से जुड़ी अनियमितताओं और नॉर्मलाइजेशन के मुद्दे पर छात्रों का गुस्सा चरम पर पहुंच गया। छात्रों का आरोप है कि परीक्षा में धांधली, पेपरलीक और नॉर्मलाइजेशन के नाम पर भेदभाव हुआ।
बिहार क्रांति की वह धरती है, जहां आजादी के आंदोलन के लिए खुद महात्मा गांधी को भी आना पड़ा था और दूसरी आजादी की लड़ाई का आगाज इस धरती से जयप्रकाश नारायण ने की। इस बार चिंगारी बीपीएससी यानी बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा की वजह से लगी है। हजारों की तादात में इस परीक्षा के अभ्यर्थी मैदान में हैं। हालात कुछ ऐसे बन गए हैं कि आज एक बार फिर सरकार और छात्र आमने-सामने हो गए हैं। इस पूरे मामले को समझने के लिए हमें पास्ट में जाना पड़ेगा।
मामला 13 दिसंबर का है, इस दिन परीक्षा आयोजित होने से पहले बीपीएससी द्वारा जिलाधिकारियों को भेजा गया एक पत्र वायरल हुआ। इसमें प्रश्नपत्रों के तीन सेट तैयार करने की बात कही गई थी। छात्रों को आशंका हुई कि नॉर्मलाइजेशन लागू किया जा सकता है। हालांकि, बीपीएससी ने नोटिफिकेशन जारी कर नॉर्मलाइजेशन से इनकार किया।
वायरल पत्र पर छात्रों का आंदोलन
स्टूडेंट लीडर रोशन के मुताबिक यह सबकुछ चल ही रहा था कि एक लेटर वायरल हो गया। यह लेटर बीपीएससी की तरफ से राज्य के सभी जिलाधिकारियों को भेजा गया था। इसमें कहा गया था कि क्वेश्चन पेपर तीन सेट में होंगे। इस पत्र के वायरल होते ही छात्र नेता दिलीप कुमार बीपीएससी अध्यक्ष से मिलने पहुंचे। उन्होंने प्रयास किया कि नॉर्मलाइजेशन के मुद्दे पर बीपीएससी का रूख जान लिया जाए, लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद परीक्षा की तारीख से पहले छह दिसंबर को छात्रों ने राजधानी के बेली रोड पर विरोध प्रदर्शन किया था।
पेपर लीक की अफवाह, निगरानी पर सवाल
BPSC परीक्षा में पेपर लीक की खबरें तेजी से फैल गईं। राज्य में 912 परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा हो रही थी। इसी दौरान खबर आई कि बापू परीक्षा केंद्र पर धांधली हो रही है। इस केंद्र में एक साथ करीब 12 हजार अभ्यर्थियों को बैठाया गया था। इस केंद्र के एक परीक्षा केंद्र में 273 छात्रों के बैठने का इंतजाम किया गया था।कायदे से यहां 288 प्रश्नपत्र पहुंचने चाहिए थे, लेकिन महज 192 प्रश्नपत्र ही यहां पहुंचे। ऐसे में इसी सेंटर के दूसरे केंद्र से प्रश्नपत्र मंगवाया गया, लेकिन ये प्रश्नपत्र सीलबंद लिफाफे में नहीं थे। हालांकि, आयोग ने इसे अफवाह बताया, लेकिन छात्रों में गुस्सा भड़क उठा क्योंकि इससे पहले भी बिहार में ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते हैं। परीक्षा केंद्रों पर कड़ी निगरानी के दौरान कुछ छात्रों ने परीक्षा प्रक्रिया को लेकर अनियमितताओं का आरोप लगाया। इसमें एक मामला उस समय बड़ा बन गया जब एक जिलाधिकारी (DM) पर एक छात्र को थप्पड़ मारने का आरोप लगा। यह घटना छात्रों के आंदोलन को और अधिक भड़का गई।
छात्रों का प्रदर्शन, कोचिंग संचालकों का समर्थन
पटना के गर्दनीबाग में छात्रों ने धरना दिया, जिसे खान सर और गुरु रहमान जैसे कोचिंग संचालकों का समर्थन मिला। हालांकि, छात्रों ने कोचिंग संचालकों पर राजनीति करने का भी आरोप लगाया। विपक्षी दलों के नेता, तेजस्वी यादव, पप्पू यादव और प्रशांत किशोर ने छात्रों के आंदोलन का समर्थन किया। प्रशांत किशोर ने गांधी मैदान में छात्र संसद का आयोजन करने का सुझाव दिया।
गांधी मैदान से राजभवन की ओर बढ़ते छात्रों को प्रशासन ने रोकने की कोशिश की। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें छोड़ीं। टकराव के बीच आंदोलन और उग्र हो गया।
भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की पुरानी शिकायतें
बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर पहले भी कई बार भ्रष्टाचार और पेपर लीक की घटनाएं सामने आई हैं। इससे छात्रों में विश्वास की कमी हो गई है। भविष्य की चिंता में बिहार के लाखों युवा सरकारी नौकरियों की तैयारी करते हैं। ऐसी घटनाओं से उनके करियर पर संकट के बादल मंडराने लगते हैं। छात्रों का मानना है कि प्रशासन उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेता और अक्सर उन्हें दोषी ठहराने की कोशिश करता है।
आगे की राह क्या?
छात्रों की मांग है कि परीक्षा की धांधली की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए। वहीं, बीपीएससी पर दबाव है कि वह छात्रों की शंकाओं को दूर करते हुए पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करे।
