Kashi Vishwanath में मिलेगा अब ऐसा प्रसाद, जिसको खाकर आप भी हो जाएंगे धन्य !

विजयादशमी के पर्व से ही काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा विश्वनाथ को अब अपना प्रसाद चढ़ाया जाएगा. वहीं बाबा भोलेनाथ के प्रसाद को प्रसादम नाम दिया गया है. जो पूरी तरह से शास्त्र सम्मत होगा. बाबा के प्रसादम की बिक्री मंदिर परिसर में ही लगे स्टॉल से शुरू हो कर दी गई है. बाबा विश्वनाथ को पहली बार विजयादशमी के मौके पर प्रसादम चढ़ाया गया है. जानकारी के अनुसार विद्वानों की टीम ने पहले शास्त्रों का अध्ययन किया. फिर चावल के आटे, चीनी और बेल पत्र के चूर्ण से प्रसाद तैयार किया. वहीं बाबा के इस प्रसाद में बाबा को चढ़ने वाले बेलपत्र का ही प्रयोग किया गया है. बाबा को चढ़ाए गए बेल पत्र का ही चूर्ण बनाकर प्रसादम में मिलाया गया है.

प्रसादम बनाने के लिए कई शर्तें रखी गईं

बताया जा रहा है कि बाबा विश्वनाथ के प्रसाद को बनाने के काफी सख्त नियम बनाए गए है. प्रसादम को बनाने के लिए मंदिर प्रबंधन ने कई शर्तें भी रखी हैं. मंदिर प्रबंधन की शर्तों में साफ कहा गया है कि बाबा का प्रसादम सिर्फ हिंदू कारीगर ही बनाएंगे. साथ ही सभी धार्मिक मान्यताओं और नियमों को ध्यान में रखकर ही प्रसादम बनाया जाएगा. इसके साथ ही जो भी कारीगर प्रसादम बनाएगा उनका स्नान करना अनिवार्य होगा.

10 महीने पहले किया गया था प्रसादम का ऐलान

हालांकि मंदिर प्रबंधन के द्वारा ये फैसला तत्काल प्रभाव से नहीं लिया गया, बल्कि करीब 10 महीने पहले श्री काशी विश्वनाथ न्यास ने अपना प्रसादम बनाने की घोषणा कर दी थी. घोषणा के बाद ही काम शुरू हुआ और विद्वान प्रसादम बनाने की तैयारियों में जुट गए. इस प्रसादम को बनाने के लिए पुराणों का अध्ययन किया गया. इसके बाद चावल के आटे से प्रसादम बनाने का फैसला लिया गया. इस फैसले पर विद्वानों का मानना है कि धान भारतीय फसल है. इसका जिक्र पुराणों में है. भगवान कृष्ण और सुदामा के संवाद में भी चावल का जिक्र आता है.

बाबा पर चढ़े बेलपत्र और चावल के आटे से बनेगा प्रसादम

शास्त्रों का अध्ययन करने वाले विद्वानों की मानें तो बाबा भोलेनाथ को चावल के आटे का भोग लगाया जाता था. वहीं शिव पूजन में बेल पत्र का भी बहुत अधिक महत्व है. इसलिए भक्तों द्वारा बाबा विश्वनाथ को जो बेल पत्र चढ़ाया जाता है उसे जुटाया गया, फिर उस बेल पत्र को धोकर साफ किया गया. इसके बाद जब बेल पत्र सूख गया तो बेलपत्र का चूर्ण तैयार किया गया. जब ये बेल पत्र का चूर्ण बनकर तैयार हो गया तो इसे प्रसादम में मिलाया गया.

बाबा के प्रसादम की जिम्मेदारी अमूल कंपनी को मिली

बाबा विश्वनाथ के लिए प्रसाद बनाने की जिम्मेदारी अमूल कंपनी को सौंपी गई है. जिसके बाद मंदिर प्रबंधन के नियमों और शर्तों को ध्यान में रखकर कंपनी ने दस दिनों का प्रसादम बनाया है. बाबा विश्वनाथ के इस प्रसादम को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणीकरण संस्थाओं से भी मंजूरी मिल गई है. जिसके बाद अब बाबा विश्वनाथ को अपना प्रसादम चढ़ाया जाने लगा है.

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra