ईरान ने बुधवार रात इजरायल पर मिसाइलों से हमला बोल दिया. इस हमले को लेकर इजरायल ने कहा है कि वो इसका बदला जरूर लेगा. वहीं इस हमले के बाद से ही पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ गया है. इस दौरान भारत ने दोनों पक्षों से बातचीत और कूटनीति के जरिए समस्या का समाधान करने की अपील भी की है. वहीं दूसरी ओर पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव ने भारत समेत दुनिया भर के व्यापारियों की परेशानी बढ़ा दी है.
लाल सागर में जहाजों की आवाजाही को होगी प्रभावित
पश्चिम एशिया में बढ़ता तनाव के चलते लाल सागर में जहाजों की आवाजाही को प्रभावित हो सकती है. यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका और पश्चिम एशिया से होने वाले व्यापार को लेकर भारत लाल सागर पर पूरी तरह से आश्रित है. भारत के लिए माल लाने और ले जाने वाले जहाज स्वेज नहर होते हुए लाल सागर से ही आवाजाही करते हैं. हूती के लड़ाके लाल सागर में जहाजों पर होने वाले हमलों के लिए जिम्मेदार हैं. हूतियों को ईरान का समर्थन हासिल है. एक रिपोर्ट के अनुसार 2023 में इस रूट से 400 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था. वहीं आयात-निर्यात से जुड़े व्यापारियों को इस बात का डर है कि अगर इजरायल-ईरान तनाव और बढ़ा, तो उसका असर लाल सागर में जहाजों की आवाजाही पर पड़ेगा.
पश्चिम एशिया के तनाव का दिखने लगा असर
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक रिपोर्ट के अनुसार साल के पहले दो महीनों में स्वेज नहर से होने वाले व्यापार में 50 फीसदी तक की कमी आई है. वहीं पिछले साल की तुलना में केप ऑफ गुड होप के रास्ते होने वाले व्यापार में 74 फीसदी का उछाल देखा गया है. इसके पीछे की वजह स्वेज नहर और लाल सागर के जरिए होने वाले व्यापार में आने वाला व्यवधान है. पश्चिम एशिया के तनाव के चलते जहाजों को अफ्रीका होते हुए ले जाना पड़ रहा है. जिसके कारण शिपिंग की लागत करीब 20 फीसदी तक बढ़ रही है.इसका असर भारतीय कंपनियों के मुनाफे पर पड़ रहा है. खासकर वो कंपनियां जो कम कीमत के इंजीनियरिंग उत्पाद, कपड़ों आदि के निर्यात से जुड़ी हुई हैं.
शेयर बाजार पर दिखा तनाव का असर
भारत के बांबे स्टॉक एक्सचेंज ने अभी हाल में ही रिकॉर्ड कायम किया है. बीएसई के सूचकांक ने 86 हजार का आंकड़ा छुआ था लेकिन पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और युद्ध से बीएसई के सूचकांक में आज दोपहर तक 3000 अंकों की गिरावट देखी गई. ईरान के इजरायल पर हमले के बाद पहली बार गुरुवार को दोपहर एक बजे तक सूचकांक में 14 सौ प्वाइंट से अधिक की गिरावट दर्ज की गई. अगर संकट गहराता है तो यह संकट और बढ़ सकता है.
पश्चिम एशिया की अस्थिरता कई चीजों को करेगी प्रभावित
भारत और पश्चिम एशिया के देशों से तेल के अलावा भी बहुत से ऐसी चीजें हैं जिनका आयात-निर्यात किया जाता है. भारत छोटी-बड़ी मशीनरी से लेकर दवाओं तक का निर्यात पश्चिम एशिया के देशों को करता है. पश्चिम एशिया के देशों से भारत में तेल, प्राकृतिक गैस और उर्वरक निर्यात किया जाता हैं. द्विपक्षीय व्यापार की बात करें तो भारत और पश्चिम एशिया के देशों के बीच करीब 195 अरब डॉलर का व्यापार है. इसके अलावा पश्चिम एशिया के निवेशकों ने बुनियादी ढांचा विकास और तकनीकी स्टार्टअप में निवेश किया हुआ है. इन सबको पश्चिम एशिया की अस्थिरता प्रभावित कर सकती है.
