हरियाणा में क्या है 36 बिरादरी वाली बात, क्यों कर रहे हुड्डा रैलियों में जिक्र, पढ़ें सबकुछ एक क्लिक में

हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रचार के साथ ही राजनीतिक पार्टियों द्वारा सियासी एजेंडा भी सेट किया जा रहा है. जहां बीजेपी सत्ता की हैट्रिक लगाने का दम भर रही है. तो वहीं कांग्रेस अपने दस साल के सूखे को खत्म करने के लिए बेताब बैठी है. कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हर एक रैली में बस यही कहते हुए नजर आ रहे हैं कि कांग्रेस को ’36 बिरादरियों’ का समर्थन मिल रहा है. वहीं बीजेपी नेता भी ’36 बिरादरियों’ की हितों की दुहाई देते हुए दिखाई दे रहे हैं. इतना ही नहीं गांव की समाजिक पंचायत और खाप की बैठकों में भी 36 बिरादरी का जिक्र सुनाई दे रहा है. दरअसल हरियाणा में कास्ट पॉलिटिक्स को लेकर राजनीतिक दल भले जाट बनाम गैर-जाट का दांव खेला रहे हों लेकिन बात 36 बिरादरियों के हितों और प्रतिनिधित्व की हो रही है. कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 35 जाट उम्मीदवार उतारे हैं तो बीजेपी ने सबसे ज्यादा भरोसा 24 ओबीसी को टिकट दिया है. देखा जाए तो दोनों पार्टियां ही 36 बिरादरियों की दुहाई देकर वोट बटोरने की कोशिश में हैं. मगर आखिर ये 36 बिरादरी है क्या और इसका चुनाव से क्या लेना- देना है? आप भी यही सोच रहे होंगे. तो आइए जानते हैं-

आखिर कहां से आया बिरादरी शब्द?

बिरादरी का शब्द बरादर से आया है. जो कि एक कबीले या समान वंश वाली जनजाति के भाईचारे के लिए फारसी शब्द है. अंग्रेजी शब्द Brother इसी से बना है. जिसे भारत में जाति और कौम से जोड़कर देखा जाता है. आमतौर पर देखा जाता है कि लोग एक दूसरे से उसकी जाति के बारे में जानने के लिए पूछते हैं कि किस बिरादरी से हो. जेएनयू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विवेक कुमार की मानें तो भारत उपमहाद्वीप में बिरादरी शब्द को प्रयोग जाति के लिए होता है. इसी तरह हरियाणा में 36 बिरादरी का इस्तेमाल सर्व समाज के लिए किया जाता है क्योंकि वहां पर 36 से ज्यादा जातियां है.

हरियाणा में सबसे बड़ी संख्या में जाट समुदाय के लोग

हरियाणा में सबसे बड़ी संख्या में जाट समुदाय के लोग रहते हैं, जो सामान्य वर्ग में आते हैं जबकि यूपी और राजस्थान जैसे राज्य में ओबीसी में हैं. हरियाणा में जाट जाति की आबादी करीब 25 से 27 फीसदी तक है. इसके बाद 21 फीसदी दलित समुदाय के लोग हैं, जो रविदासी और वाल्मिकी सहित अलग-अलग उप जातियों में बंटे हैं. वहीं ओबीसी की आबादी 30 से 32 फीसदी है, इनमें गुर्जर, यादव, सैनी, प्रजापति, कम्बोज, कुम्हार, सुनार, लोहार समेत करीब 32 उपजातियां शामिल है. वहीं सवर्ण समुदाय में पंजाबी, ब्राह्मण, राजपूत, वैश्य जैसी जातियां आती है. इसके अलावा मुस्लिम समुदाय भी अलग-अलग जातियों में बंटा हुआ है.

अक्सर जिक्र होता है 36 बिरादरियों के समर्थन का

विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मियों के बीच जब भी कोई प्रत्याशी किसी गांव में प्रचार को जाता है, तो गांव के लोग और समर्थक स्वागत करते हैं. ऐसे में यह संदेश देने की कोशिश होती है कि प्रत्याशियों का स्वागत 36 बिरादरियों के द्वारा किया जा रहा है. यही वजह है कि हरियाणा ही नहीं बल्कि पश्चिमी यूपी और राजस्थान में भी 36 बिरादरियों की बात सुनने में आती है. जाटों से लेकर गुर्जरों और मुसलमानों तक में ये बात कही जाती है कि 36 बिरादरियों का उन्हें समर्थन है. एक रिपोर्ट के मुताबिक छह बार के पूर्व विधायक और पूर्व वित्त मंत्री संपत सिंह का कहना है कि 36 बिरादरी की बात सिर्फ मुहावरा भर है क्योंकि हरियाणा में 36 से अधिक जातियां हैं. संपत सिंह का कहना है कि 2016 में मैंने सभी जातियों के बीच भाईचारे को मजबूत करने के लिए हिसार में अपने घर पर एक कार्यक्रम बुलाया और इसमें लगभग 85 जातियों के सदस्यों ने शिरकत की. हरियाणा के भाईचारा के लिए यह प्रचलन में 36 बिरादरी का शब्द आम तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. यह समाज में सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए उपयोग होता हैं, उसका मतलब जातियों की संख्या से नहीं है.

 

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra