‘आया राम गया राम’ चुनावी दौर में बहुत सुना होगा, आज किस्सा भी पढ़ लीजिए

हरियाणा में विधानसभा चुनाव का दौर है और नेताओं के ‘आया राम, गया राम’ के किस्से चर्चा में चल रहे हैं. हाल ही में सबसे ज्यादा चर्चा में गायक कन्हैया मित्तल आए. दरअसल कन्हैया ने पहले कांग्रेस में जाने के साफ संकेत दिए और फिर कुछ ही घंटे बाद अचानक मन बदल लिया. जिसके बाद कन्हैया ने सफाई देते हुए कहा कि पिछले दो दिनों में यह अहसास हुआ कि मेरे सभी सनातनी भाई -बहन और बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व मुझे बहुत प्यार करता है. जिसके बाद कन्हैया के दोनों वीडियो सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे. हालांकि हरियाणा में दल-बदलना कोई बड़ी बात नहीं है. हरियाणा की राजनीति में ही 57 साल पहले ‘आया राम गया राम’ मुहावरा पहली बार गढ़ा गया था. यहां का राजनीतिक इतिहास रहा है कि नेताओं ने पार्टियों को कपड़ों की तरह बदला है.

साल 1967 में निर्दलीय विधायक गयालाल से शुरू हुआ किस्सा

राजनीति में आया राम, गया राम का किस्सा हरियाणा से जुड़ा हुआ है. 1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग होने के बाद हरियाणा राज्य बना. जिसके बाद 1967 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए. इस दौरान कांग्रेस ने 81 में से 48 सीटों पर जीत हासिल की. भारतीय जनसंघ को 12, स्वतंत्र पार्टी को तीन और रिपब्लिन आर्मी ऑफ इंडिया को दो सीटें मिलीं थी थीं. 16 सीटों पर निर्दलीय जीते थे. इनमें एक नाम गया लाल का था. गया लाल ने पलवल जिले की हसनपुर (रिजर्व सीट) से 360 वोटों से जीत दर्ज की थी. गया लाल ने कांग्रेस उम्मीदवार एम सिंह को हराया था. हसनपुर सीट अब होडल में शामिल हो गई है. राज्य में पहली बार कांग्रेस की सरकार बनी थी और भगवती दयाल शर्मा ने 10 मार्च 1967 को सीएम पद की शपथ ली. गया लाल ने कांग्रेस को समर्थन किया. हालांकि ये सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चली. महज हफ्तेभर के अंदर ही दक्षिणी हरियाणा के असंतुष्ट नेता राव बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस के 37 विधायकों के साथ मिलकर बगावत का सुर छेड़ दिया. राव बीरेंद्र सिंह ने स्वतंत्र पार्टी, जनसंघ और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से 24 मार्च को 1967 को नई सरकार बना ली. इस नए मोर्चे को संयुक्त विधायक दल का नाम दिया गया.

9 घंटे में गया लाल ने तीन बार बदले दल

इस नई सत्ता का निर्दलीय गया लाल भी हिस्सा बनना चाहते थे. गया लाल ने असमंजस के बीच बड़ा फैसला ले लिया और कांग्रेस छोड़कर बीरेंद्र सिंह के संयुक्त मोर्चे में शामिल हो गए. गया लाल का पाला-बदलने का सिलसिला यहीं नहीं थमा. बल्कि गयालाल ने 9 घंटे के अंदर तीन बार पाला-बदला. गयालाल कांग्रेस से SVD में आए फिर वापस कांग्रेस में गए. इसके बाद फिर गयालाल का अचानक मन बदला और दोबारा SVD में जा पहुंचे. जब दूसरी बार गया लाल SVD में शामिल हुए तो सीएम राव बीरेंद्र सिंह ने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. जिसमें गया लाल का सबसे परिचय कराया गया. सीएम ने ऐलान किया कि ‘गया राम, अब आया राम हैं’ कहते हैं कि गया लाल के अप्रत्याशित पाला-बदल के घटनाक्रमों ने राजनीति में ‘आया राम, गया राम’ का नया मुहावरा गढ़ दिया था.

 

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra