मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में कृषि से लेकर युवाओं तक के हितों को साधने की कोशिश की गई है. इस बजट में आम से लेकर खास हर किसी के लिए कुछ ना कुछ जरूर है. तो वहीं प्रधानमंत्री गरीब कल्याण के तहत गरीबों को मिलने वाले राशन की डेडलाइन बढ़ाने की भी घोषणा कर दी गई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा कि अब यह मुफ्त अनाज अगले 5 साल तक दिया जाएगा. तो वहीं वित्त मंत्री की इस घोषणा के बाद कयासों का बाजार गर्म हो गया है. वित्त मंत्री की इस घोषणा को हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. आपको बता दें कि हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में अब से 3 महीने बाद विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं. जिनमें 3 में से दो राज्य महाराष्ट्र और हरियाणा में वर्तमान में बीजेपी गठबंधन की सरकार है, जबकि झारखंड में कांग्रेस गठबंधन की है.
मुफ्त अनाज की योजना से इतने लाभार्थियों को मिलेगा फायदा
जिन राज्यों में अगले तीन महीनों में विधानसभा चुनाव हैं, वहां 35 लाख परिवार लाभार्थी हैं. अगर लाभार्थियों की संख्या देखी जाए तो यह सीधे तौर पर 1.59 करोड़ के आसपास है. भारत सरकार के मुताबिक महाराष्ट्र में 1 करोड़ 10 लाख लोग मुफ्त राशन का लाभ लेते हैं. झारखंड में यह संख्या 34 लाख के आसपास है. वहीं हरियाणा में राशन का लाभ लेने वाले लोगों की संख्या करीब 12 लाख है.
बीजेपी को कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिलेगा फायदा
मुफ्त राशन का फायदा बीजेपी को कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिला है. इनमें गुजरात और उत्तर प्रदेश का विधानसभा का चुनाव प्रमुख है. सीएसडीएस के मुताबिक गुजरात में मतदान कर निकले 10 में से 7 लोगों ने मुफ्त अनाज योजना का जिक्र किया. राज्य के इस चुनाव में बीजेपी ने एकतरफा जीत हासिल की थी. उत्तर प्रदेश में भी भारतीय जनता पार्टी को मुफ्त अनाज स्कीम का फायदा मिला. सर्वे एजेंसी के मुताबिक हाल की लोकसभा चुनाव में 67 प्रतिशत लोगों का कहना था कि उनके परिवार को इस मुफ्त राशन योजना का लाभ मिला है.
नीति आयोग ने दी थी मुफ्त राशन स्कीम को बंद करने की सलाह
वित्त मंत्रालय के मुताबिक साल 2020 में इस स्कीम पर सबसे ज्यादा 5.41 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. 2021 में यह आंकड़ा 2.92 लाख करोड़, 2022 में 2.72 लाख करोड़, 2023 में 2.12 लाख करोड़ रुपए था. केंद्र सरकार के मुताबिक इस स्कीम का लाभ पूरे देश में करीब 80 करोड़ लोगों का मिलता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे बजट पर एक भार माना था और उनका कहना था कि करीब 10 लाख करोड़ रुपए एक पंचवर्षीय में इस पर खर्च होता है. इतना ही नहीं कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया था कि नीति आयोग ने इस स्कीम को बंद करने की सलाह दी थी. हालांकि, सरकार ने आयोग की इस सलाह को नहीं माना. मुफ्त अनाज स्कीम फ्रीबीज के कारण भी विवादों में रही है. फ्रीबीज के दौरान सुप्रीम कोर्ट में जब सुनवाई हुई थी, तो पार्टियों की तरफ से दलील दी गई थी कि इस स्कीम पर भी विचार किया जाए. हालांकि, केंद्र का कहना था कि यह राहत के लिए है.
