मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल शुरू हो चुका है. अब इस कार्यकाल के सबसे अहम दिन का आम लोगों से लेकर निवेशकों और बैंकरों तक को बेसब्री से इंतजार है. ये वो दिन है जब मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का बजट पेश होगा. इस दिन को लेकर उल्टी गिनती भी शुरू हो चुकी है. इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को पहला बजट पेश करेंगी. बजट का जिक्र भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में किया गया है. इसे वार्षिक वित्तीय विवरण के तौर पर दर्ज किया गया है. बजट सत्र की शुरुआत 22 जुलाई से होगी. मंगलवार को हुई हलवा सेरेमनी के साथ बजट की तैयारियों में जुटे अधिकारी वित्त मंत्रालय के परिसर में लॉक हो जाएंगे. यह एक औपचारिक प्रक्रिया होती है जो बजट पेश करने के लिए कुछ दिन पहले आयोजित की जाती है. बजट बनाने की प्रक्रिया में शामिल हुए सभी लोगों को हलवा परोसा जाता है.
बजट तैयार करने की शुरुआत आमतौर पर सितंबर में
बजट तैयार करने का काम वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग का बजट डिवीजन करता है. बजट डिवीजन की टीम इसे तैयार करती है. बजट में सरकार के आय और व्यय का ब्यौरा होता है. बजट तैयार करने की शुरुआत आमतौर पर सितंबर में हो जाती है. कई चरण में तैयार होने के कारण इसमें एक लम्बा समय लगता है.पहले चरण में अनुमानित खर्च और जरूरतों का आकलन किया जाता है. सभी केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, स्वायत्त संस्थानों, विभागों, सैन्य बलों से आगामी साल के लिए अनुमानित खर्च की जानकारी इकट्ठा की जाती है. इसका आकलन किया जाता है. दूसरे चरण में आर्थिक मामलों और राजस्व से जुड़े विभाग व्यापारियों, अर्थशास्त्रियों, सिविल सोसायटी और किसानों से चर्चा करते हैं. यह बजट तैयार करने से पहले होने वाली चर्चा है जिससे यह समझ आता है कि जरूरतें क्या-क्या हैं. तीसरे चरण में बजट तैयार करने से जुड़े विभागों से आमदनी और खर्च का ब्यौरा हासिल किया जाता है. इसके आधार पर आगामी साल में अनुमानित कमाई और खर्चों का ब्यौरा तैयार होता है. इसके बाद सरकार राज्य सरकार, अर्थशास्त्रियों और बैंकरों से बात करके टैक्स में छूट और आर्थिक मदद पर कोई फैसला लेती है. अंत में वित्त मंत्रालय बजट भाषण तैयार करने पर काम शुरू करता है. किसी खास सेक्शन में राशि को लेकर विवाद होने पर कैबिनेट मंत्री या प्रधानमंत्री तक से सलाह ली जाती है. इसे तैयार करने का काम एक टीम करती है, वो कई फैसले लेती है. हालांकि इसके लिए लिया गया हर फैसला वित्त मंत्री का माना जाता है.
“हलवा सेरेमनी” से शुरू होती है बजट की छपाई प्रक्रिया
केंद्रीय बजट की छपाई प्रक्रिया एक पारंपरिक समारोह से शुरू होती है जिसे “हलवा सेरेमनी” कहा जाता है. इस सेरेमनी के दौरान, वित्त मंत्री और प्रक्रिया में शामिल अन्य अधिकारी और कर्मचारी पारंपरिक हलवा खाते हैं. इस कार्यक्रम के बाद, केंद्रीय बजट की छपाई शुरू होती है. इस पूरे चरण में, बजट बनाने की प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारी और कर्मचारी सदस्य मंत्रालय परिसर तक ही सीमित रहते हैं, बाहरी दुनिया से कटे रहते हैं, क्योंकि उन्हें संसद में पेश होने से पहले बजट का विशेषाधिकार प्राप्त ज्ञान होता है.बजट के दिन वित्त मंत्री पहले कैबिनेट की मीटिंग में हिस्सा लेते हैं और फिर सदन में इसे पेश करते हैं.
