ब्रिटेन में वामपंथी लेबर पार्टी ने आम चुनाव में प्रचंड जीत हासिल की है. इसके साथ ही कीर स्टार्मर आधिकारिक तौर पर ब्रिटेन के नये प्रधानमंत्री बन गए हैं. लेबर पार्टी ने आम चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी को भारी अंतर से हराया है. लेबर पार्टी के नेता 61 वर्षीय कीर स्टार्मर ब्रिटेन के 58वें पीएम बन गए हैं. ब्रिटेन के किंग चार्ल्स से मुलाकात करने के बाद कीर स्टार्मर ने 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर संबोधित करते हुए देश में बदलाव की बात कही. वहीं कीर स्टार्मर की जीत कई मायनों में बड़ी मानी जा रही है. लेबर पार्टी का उदय साल 2018 में हुआ था, जिसने इस बार के चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी के ऋषि सुनक को सत्ता से बाहर कर दिया है. आपको बता दें कि पिछले पांच कंजर्वेटिव प्रधानमंत्रियों में से केवल तीन ही सीधे तौर पर चुने गए थे.
लेबर पार्टी को 33.8 फीसदी वोट मिले
ब्रिटेन के 2024 के नतीजों की बात करें तो लेबर पार्टी ने 410 सीटों पर तो कंजर्वेटिव पार्टी ने 119 सीटों पर जीत दर्ज की है. इस बार के चुनाव में वोट शेयर की बात करें तो लेबर पार्टी को 33.8 फीसदी, कंजर्वेटिव पार्टी को 23.7 फीसदी और यूनिफॉर्म यूके को 14.3 फीसदी वोट मिले. माना जा रहा है कि ब्रिटेन के मतदाताओं ने 14 साल के शासन के बाद कंजर्वेटिव पार्टी को अस्वीकार कर दिया क्योंकि पार्टी जीवन-यापन की लागत के संकट से निपट नहीं सकी. हाल के वर्षों में ब्रिटेन के लोगों की आर्थिक स्थिति और भी खराब हुई है. सरकार से संबद्ध निगरानी संस्था राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार, अमेरिका, जर्मनी और अन्य धनी देशों की तुलना में 2008 के वित्तीय संकट के बाद से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था स्थिर हो गई है. इसके साथ ही वेतन में बमुश्किल ही वृद्धि हुई है. पिछले 100 सालों में कंजर्वेटिव पार्टी चुनावी तौर पर सबसे ज्यादा सफल ब्रिटिश राजनीतिक पार्टी रही है. उस समय में कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व में 17 ब्रिटिश सरकारें बनी हैं, जबकि लेबर पार्टी के नेतृत्व में आठ सरकारें बनी हैं.
भारत-ब्रिटेन के रिश्तों पर क्या पड़ेगा असर
भारत और ब्रिटेन काफी समय से मुक्त व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं. ये समझौता सुनक के सत्ता में आने से पहले से चल रहा है. जो कि वर्तमान में प्रति वर्ष 38.1 बिलियन पाउंड के द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के प्रयासों का हिस्सा है. FTA वार्ता जनवरी 2022 में शुरू हुई थी और जॉनसन ने दिवाली 2022 को प्रारंभिक समय सीमा के रूप में निर्धारित किया था. सुनक के नेतृत्व वाली सरकार के तहत इसको लेकर कोई नई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई थी, लेकिन दोनों पक्ष 2024 में आम चुनाव से पहले चीजों पर हस्ताक्षर करना चाहते थे. भारत और ब्रिटेन ने एफटीए पर 13 दौर की वार्ता की है. 14वां दौर जनवरी में शुरू हुआ था, जहां लोगों की गतिशीलता और कुछ वस्तुओं पर आयात शुल्क रियायतों सहित कुछ विवादास्पद मुद्दों पर मतभेदों को दूर करके इसे अंतिम रूप देने पर विचार करना था. समझौते में 26 अध्याय हैं, जिनमें माल, सेवाएं, निवेश और बौद्धिक संपदा अधिकार शामिल हैं. हालांकि, विशेषज्ञों की मानें तो ब्रिटेन चुनाव के नतीजों से भारत-यूके व्यापार वार्ता पर कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा. लेबर पार्टी ने “काम पूरा करने” के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया है.
